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विपक्ष शासित 6 राज्यों को यूजीसी के नए नियम मंजूर नहीं

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हिमाचल, झारखंड, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना व कर्नाटक ने किया विरोध, कहा-राज्यों की भूमिका स्पष्ट नहीं, वापस लें

बंगलूरू/नई दिल्ली। विपक्ष शासित छह राज्यों ने यूजीसी विनियम 2025 के मसौदे का कड़ा विरोध किया है। हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना और कर्नाटक ने संयुक्त प्रस्ताव पास कर इसे वापस लेने की मांग की है। मसौदे में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों व शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति व पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यताएं और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के लिए उपाय शामिल हैं। बंगलूरू में इन राज्यों के उच्च शिक्षा मंत्रियों ने बैठक कर यूजीसी के मसौदा नियमावली, 2025 के खिलाफ 15 सूत्री प्रस्ताव पारित किया।

राज्यों ने कहा कि यूजीसी के मसौदा नियमों में राज्य अधिनियमों के तहत स्थापित सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति में राज्य सरकारों की भूमिका स्पष्ट नहीं की गई है। यह संघीय व्यवस्था में राज्य के वैध अधिकारों का हनन है। प्रस्ताव में कहा गया है कि ये नियम कुलपतियों के चयन के लिए खोज- सह-चयन समितियों के गठन में राज्यों के अधिकारों को गंभीर रूप से सीमित करते हैं।

राज्यों ने कहा कि गैर-शैक्षणिक व्यक्तियों को कुलपति नियुक्त करने से संबंधित प्रावधान को वापस लिया जाना चाहिए। यह भी कहा कि कुलपतियों की नियुक्ति के लिए योग्यता, कार्यकाल और पात्रता पर गंभीरता से पुनर्विचार की आवश्यकता है क्योंकि ये उच्च शिक्षा के मानकों पर असर डालते हैं।

कई प्रावधनों पर गंभीरता से पुनर्विचार की जरूरत

अकादमिक प्रदर्शन सूचक (एपीआई) मूल्यांकन प्रणाली को हटाने और नई प्रणाली लागू करने से उच्च स्तर का विवेकाधिकार प्राप्त होगा और इसका पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए। प्रस्ताव में सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति से संबंधित कई प्रावधानों पर गंभीरता से पुनर्विचार की आवश्यकता है, जिनमें संबंधित मुख्य विषय में बुनियादी डिग्री की आवश्यकता नहीं होने से संबंधित प्रावधान भी शामिल हैं। यह भी कहा कि मसौदे के उल्लंघन के परिणामों से संबंधित प्रावधान कठोर, अत्यधिक, अलोकतांत्रिक हैं।

नियमों पर प्रतिक्रिया देने की समय सीमा बढ़ाई

यूजीसी ने भर्ती एवं पदोन्नति मानदंडों के मसौदे पर प्रतिक्रिया देने की समयसीमा 28 फरवरी तक बढ़ा दी है। पहले हितधारकों को 5 फरवरी तक फीडबैक भेजना था। यूर्जीसी सचिव मनीष जोशी ने कहा कि हितधारकों से मिले अनुरोधों पर समयसीमा बढ़ाने का फैसला लिया गया। यूजीसी ने पिछले महीने (विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यताएं और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के उपाय) विनियम, 2025 का मसौदा जारी किया था। यह ‘2018 के दिशानिर्देशों का स्थान लेगा।

निजी संस्थानों को मिलेगा बढ़ावा: प्रस्ताव में कहा गया कि मसौदा नियम और ग्रेडिंग मापदंड निजी संस्थानों को बढ़ावा देने के लिए तैयार किए गए हैं तथा सरकारी-सार्वजनिक संस्थानों के कल्याणकारी पहलू की अनदेखी की गई है। राज्यों ने कहा कि बुनियादी स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षा को अनिवार्य बनाना जीईआर बढ़ाने व समावेशी शिक्षा * प्रदान करने में एक बड़ी बाधा है।

राहुल को देश के इतिहास, भाषा की कोई समझ नहीं: प्रधान

नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा, उनको भारत के इतिहास, भाषा, सांविधानिक व्यवस्था की कोई समझ और सम्मान नहीं है। प्रधान ने कहा, क्या राहुल गांधी जानते हैं कि भारत की शिक्षा नीति में ही भारत की भाषाओं को महत्व दिया गया है। हमने 121 स्थानीय भाषाओं में प्राइमर बनाए हैं। भारतीय भाषा में किताबें बनाने की भी व्यवस्था की गई है। अनेक स्थानीय भाषाओं में इंजीनियरिंग, मेडिकल और कानून की पढ़ाई के लिए पुस्तकें बनाने की शुरूआत की गई है। मैं नेता प्रतिपक्ष की नामसमझी पर चिंता प्रकट कर रहा हूं।

आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्रयास : राहुल

नई दिल्ली। डीएमके के प्रदर्शन के दौरान नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों व शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति पर यूजीसी के मसौदा नियम आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ाने का एक प्रयास है। इसका उद्देश्य देश पर ‘एक इतिहास, एक परंपरा, एक भाषा’ थोपने का लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। आरएसएस का मकसद अन्य सभी इतिहास, संस्कृतियों और परंपराओं को मिटाना है।

विवि उद्योगपतियों को सौंपने की साजिश : अखिलेश

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सपा केंद्र सरकार की लाई जा रही नई शिक्षा नीति के खिलाफ विरोध का समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार कहा था कि अगर आप उद्योगपतियों का समर्थन करते रहेंगे तो एक दिन ऐसा आएगा जब आप उद्योगपतियों के नौकर बन जाएंगे। यह नई शिक्षा नीति विश्वविद्यालयों को उद्योगपतियों को सौंपने की साजिश है।

https://indiafirst.news/6-opposition-ruled-states-do-not-approve-of-the

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