Washington DC : 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका का राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने के बाद एक महत्वपूर्ण फैसला ले सकते हैं। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान उस कानून को बेतुका और देश के लिए खतरा करार दिया जिसके तहत देश में जन्मे किसी भी मुल्क के व्यक्ति को अपने आप अमेरिकी नागरिकता मिल जाती है। ट्रंप ने इशारा किया कि वह 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद ग्रहण करने के बाद इस कानून को खत्म करवाने के लिए सार्थक कदम उठाएंगे।
आखिर अमेरिकी राष्ट्रपति क्यों कर रहे हैं इस कानून का विरोध

जन्मसिद्ध अमेरिकी नागरिकता का अधिकार अमेरिका के संविधान के 14वें संशोधन पर आधारित है। ऐसे में इस प्रावधान को खत्म करने से ट्रंप के सामने कई कानूनी चुनौतियां आएंगी। 14वें संशोधन के मुताबिक अमेरिका में जन्मे या उसके अधिकार क्षेत्र के अधीन जन्मा हर व्यक्ति अमेरिका का नागरिक है। डोनाल्ड ट्रंप और इस नीति के विरोधियों का कहना है कि इससे बर्थ टूरिज्म को बढ़ावा मिल रहा है । उनका कहना है कि गर्भवती महिलाएं विशेष रूप से बच्चों को जन्म देने के लिए अमेरिका में आती हैं, ताकि उनके बच्चे अमेरिका की नागरिकता पा सके और फिर अपने देश लौट जाती हैं। इससे अमेरिका के जनसंख्या में तेजी से इजाफा हुआ है।
नागरिकता नियम को बदलने से भारत पर पड़ेगा इसका सीधा असर

2022 के अमेरिकी जनगणना विश्लेषण के अनुसार, अमेरिका में लगभग 48 लाख भारतीय-अमेरिकी रहते हैं। इनमें से 34 फीसदी, यानी 16 लाख अमेरिका में जन्मे हैं। ये व्यक्ति वर्तमान कानून के तहत अमेरिकी नागरिक हैं। यदि ट्रंप इस कानून को समाप्त करते हैं, तो 16 लाख भारतीय मूल के अमेरिकी सीधे प्रभावित होंगे।
अमेरिकी संविधान का विशेषज्ञ डेविड सेनफोर्ड ने कहा-

डोनाल्ड ट्रंप के लिए अमेरिकी संविधान में यह संशोधन करना इतना भी आसान नहीं होगा लेकिन अगर वह इस प्रावधान को बदलने में सफल होते हैं तो बर्थ टूरिज्म में पूर्ण रूप से रोक लगेगी।
https://indiafirst.news/america-will-end-the-provision-of-citizenship
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