प्रयागराज,( उत्तर प्रदेश )। विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन महाकुंभ 2025 में वसंत पंचमी के बाद श्रद्धालुओं की संख्या 37 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई। रविवार तक ही 34.97 करोड़ श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके थे, जो अमेरिका की कुल जनसंख्या (34.11 करोड़) से भी अधिक है। सोमवार की शाम तक यह आंकड़ा 37.30 करोड़ पहुंच गया और स्नान का क्रम अब भी जारी है।
भक्ति की लहरों में खिला वसंत
वसंत पंचमी के अमृत स्नान पर्व पर संगम तट पर आस्था का महासागर उमड़ पड़ा। रात 12 बजे के बाद से ही श्रद्धालु संगम में पुण्य की डुबकी लगाने लगे। मेला प्रशासन के अनुसार, 2.57 करोड़ श्रद्धालुओं ने इस दिन संगम स्नान किया। यह नजारा किसी भव्य आध्यात्मिक उत्सव से कम नहीं था, जहां हर तरफ श्रद्धालु भक्ति में लीन नजर आए।
विदेशी श्रद्धालुओं ने भी बढ़ाया आयोजन का गौरव
महाकुंभ की भव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा ने न केवल भारतीय श्रद्धालुओं को बल्कि विदेशी भक्तों को भी आकर्षित किया। अमेरिका की प्रेममई साई मां लक्ष्मी के साथ डेनिल, डेनियल ट्वेन, रूस के हमजातोव, लूलिया जैसे श्रद्धालु गले में रुद्राक्ष की माला और तुलसी की कंठी पहनकर संगम तट पर पहुंचे और सनातन संस्कृति में आस्था व्यक्त की।
संगम पर संस्कृतियों का समागम
महाकुंभ के इस पावन अवसर पर हर भाषा, हर जाति, हर संप्रदाय के लोग एक साथ संगम तट पर एकता की मिसाल पेश कर रहे हैं। दिल्ली, पंजाब, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, केरल, आंध्र प्रदेश समेत सभी राज्यों से श्रद्धालु पहुंचे, वहीं अमेरिका, इजराइल, फ्रांस सहित कई देशों के भक्त भी इस ऐतिहासिक स्नान के सहभागी बने।
शाही सवारियों का दिव्य नजारा

भोर के पांच बजे से ही अखाड़ा मार्ग, त्रिवेणी पांटून पुल, लाल मार्ग, काली मार्ग सभी दिशाओं से श्रद्धालुओं की भीड़ संगम तट की ओर उमड़ पड़ी। ढोल-नगाड़ों की गूंज और शाही सवारियों का भव्य स्वागत देखना एक अलौकिक अनुभव था।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए 2700 सीसीटीवी कैमरों से स्नान पर्व की निगरानी की गई। सुरक्षा को लेकर 40 वरिष्ठ अधिकारियों ने पूरे आयोजन को संभाला। संगम के 12 किमी लंबे तट पर स्थित 42 घाटों पर स्नान की सुव्यवस्थित व्यवस्था की गई थी।
सनातन परंपरा का दिव्य संगम
महाकुंभ में शैव, वैष्णव, शाक्त, उदासीन, नाथ, कबीरपंथी, रैदासी, भारशिव, अघोरी, कपालिक जैसे सभी पंथों और संप्रदायों के संत-साधु अपनी-अपनी परंपराओं के अनुसार पूजन-अर्चन और गंगा स्नान कर रहे थे। कल्पवास करने वाले लाखों श्रद्धालु पूरे देश से संगम तट पर पहुंचे और सनातन संस्कृति की जीवंतता को साकार किया।
10:25 घंटे तक चला अमृत स्नान
वसंत पंचमी पर संगम तट पर 10 घंटे 25 मिनट तक श्रद्धालुओं का स्नान चलता रहा। हर तरफ “हर-हर गंगे” के जयकारे गूंज रहे थे। इस अलौकिक क्षण में श्रद्धालुओं ने अपने कष्टों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए पुण्य स्नान किया।
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