नई दिल्ली/प्रयागराज: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को प्रयागराज स्थित संगम में पवित्र स्नान कर देशभर में एक नया राजनीतिक और धार्मिक संदेश दिया। माघ महाष्टमी के अवसर पर उनके इस आस्था स्नान को न केवल धार्मिक बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दिलचस्प बात यह रही कि यह स्नान उसी दिन हुआ, जब दिल्ली विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान हो रहा था।
संगम में स्नान और इसके राजनीतिक मायने
पीएम मोदी का संगम में स्नान ऐसे समय में हुआ जब देश में जातिगत जनगणना को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी जातिगत जनगणना के मुद्दे को हिंदू एकता की धारणा से संतुलित करना चाहती है। यही कारण है कि पीएम मोदी समेत कई शीर्ष भाजपा नेता धार्मिक आयोजनों और सनातन धर्म की परंपराओं को खास तरजीह दे रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि जातिगत जनगणना के आंकड़ों से देश में जातियों की वास्तविक संख्या और उनकी संसाधनों में हिस्सेदारी का पता चल सकता है, जिससे बीजेपी की पारंपरिक हिंदुत्व की राजनीति को चुनौती मिल सकती है। माना जा रहा है कि बीजेपी अब हिंदुत्व से आगे बढ़कर ‘सनातन’ की राजनीति को मजबूती दे रही है ताकि जातिगत राजनीति के प्रभाव को कम किया जा सके।
भगदड़ की आलोचनाओं पर भी विराम?
प्रधानमंत्री मोदी का यह स्नान ऐसे समय हुआ जब प्रयागराज में 29 जनवरी को मची भगदड़ के कारण उत्तर प्रदेश सरकार की व्यवस्थाओं पर सवाल उठ रहे थे। पीएम मोदी ने संगम में डुबकी लगाकर अप्रत्यक्ष रूप से यूपी सरकार की तैयारियों पर भरोसा जताया है। यह संदेश देने की कोशिश की गई कि महाकुंभ की तैयारियां सुचारू रूप से चल रही हैं और सरकार पूरी तरह से सक्षम है।
बीजेपी नेताओं की संगम यात्रा और महाकुंभ की राजनीति
बीजेपी के अन्य वरिष्ठ नेता भी महाकुंभ और संगम स्नान को विशेष प्राथमिकता दे रहे हैं। पीएम मोदी से पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी संगम में स्नान कर चुके हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार ने भी संगम तट से कई विकास योजनाओं की घोषणा कर इसे और अधिक भव्य बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
क्या है बीजेपी की रणनीति?

विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी अब सनातन धर्म की अवधारणा को केंद्र में रखकर राजनीति कर रही है। इसके तहत पार्टी देशभर में धार्मिक आयोजनों पर अधिक ध्यान दे रही है और हिंदू वोटों को एकजुट रखने की कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी लगातार ‘सनातन धर्म’ की बात कर रहे हैं, ताकि जातिगत जनगणना के संभावित प्रभाव को संतुलित किया जा सके।
आगे क्या?
प्रधानमंत्री मोदी के संगम स्नान को राजनीतिक दृष्टि से एक बड़े संदेश के रूप में देखा जा रहा है। इससे संकेत मिलता है कि आगामी चुनावों में बीजेपी हिंदू एकता और सनातन परंपराओं पर अधिक जोर दे सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी यह रणनीति आगामी लोकसभा चुनावों में कितना असर डालती है।
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