नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनावों के एग्जिट पोल के नतीजों ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राजधानी में 27 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद सत्ता में वापसी करती दिख रही है। यदि एग्जिट पोल सही साबित होते हैं, तो भाजपा सुधारवादी आम आदमी पार्टी (आप) के करीब एक दशक पुराने शासन को समाप्त कर देगी और दिल्ली विधानसभा पर फिर से कब्जा कर लेगी।
एक एग्जिट “पोल ऑफ पोल” के अनुसार, भाजपा को 43 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है, जबकि आप 26 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है। वहीं, कभी दिल्ली की राजनीति की धुरी रही कांग्रेस पार्टी के लिए यह चुनाव फिर से निराशाजनक साबित होता दिख रहा है, क्योंकि उसे मात्र एक सीट मिलने का अनुमान लगाया गया है। हालांकि, कुछ सर्वेक्षणों में कांटे की टक्कर बताई गई है, और आम आदमी पार्टी ने एग्जिट पोल को सिरे से खारिज किया है।
आप का आत्मविश्वास बरकरार
आप प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने एग्जिट पोल को गलत बताते हुए कहा, “आप के बारे में एग्जिट पोल कभी भी सही नहीं रहे हैं। हर बार हम भारी बहुमत से जीते हैं और इस बार भी कुछ अलग नहीं होगा।”
2020 में आप ने 70 में से 62 सीटें जीतकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा मात्र 8 सीटों पर सिमट गई थी।
केजरीवाल के लिए बड़ा झटका?
यदि भाजपा वास्तव में दिल्ली में सरकार बनाने में सफल रहती है, तो यह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी के लिए करारा झटका होगा। भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन से राजनीति में कदम रखने वाले केजरीवाल ने 2015 में दिल्ली की सत्ता संभाली थी और उनके नेतृत्व में आप सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी और बिजली जैसे क्षेत्रों में कई योजनाएं चलाईं, जिससे जनता के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ी।
हालांकि, हाल के वर्षों में पार्टी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों ने उसकी साख को प्रभावित किया। केजरीवाल खुद शराब नीति घोटाले में जेल जा चुके हैं, जिससे आप की छवि को काफी नुकसान पहुंचा है। इस घोटाले में पार्टी पर आरोप है कि उसने नई शराब नीति के तहत रिश्वत ली थी। भाजपा ने इसे भ्रष्टाचार का मामला बताया, जबकि आप ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई करार दिया।
भाजपा की आक्रामक रणनीति
दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई रैलियों में आम आदमी पार्टी पर तीखे हमले किए। भाजपा ने केजरीवाल के मुख्यमंत्री आवास के निर्माण पर भी सवाल उठाए और इसे “शीशमहल” कहकर जनता के बीच बड़ा मुद्दा बनाया।
मई 2024 के आम चुनावों में अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन के बाद भाजपा के लिए दिल्ली में संभावित जीत मनोबल बढ़ाने वाली होगी। लोकसभा चुनावों में भाजपा पूर्ण बहुमत हासिल करने से चूक गई थी और उसे गठबंधन सरकार बनानी पड़ी थी। लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा में जीत के बाद, अब दिल्ली में भी पार्टी का प्रदर्शन उसे और मजबूत स्थिति में ला सकता है।
भविष्य की राजनीति पर असर

दिल्ली का चुनावी परिणाम न सिर्फ राज्य की राजनीति बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर डाल सकता है। भाजपा यदि जीतती है, तो यह मोदी सरकार के प्रति जनता के समर्थन का संकेत माना जाएगा। वहीं, अगर आप अपनी सत्ता बचाने में कामयाब रहती है, तो यह पार्टी के लिए नैतिक जीत होगी और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ को भी संजीवनी मिलेगी।
अब सबकी नजरें शनिवार को घोषित होने वाले आधिकारिक नतीजों पर हैं। क्या भाजपा दिल्ली की सत्ता पर 27 साल बाद काबिज हो पाएगी, या अरविंद केजरीवाल की आप एक बार फिर एग्जिट पोल को गलत साबित कर सत्ता में वापसी करेगी? इसका जवाब बस चंद घंटों में मिल जाएगा।
https://indiafirst.news/possible-victory-of-bjp-in-delhi
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