लखनऊ: यूपी विधानसभा में बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्षी दलों पर तीखा हमला बोला। महाकुंभ को लेकर उठाए गए सवालों पर जवाब देते हुए सीएम योगी ने कहा कि समाजवादी और वामपंथी महाकुंभ की भव्यता और सनातन परंपरा की सुंदरता को नहीं समझ सकते। उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि “जिसने जो तलाशा, उसे वही मिला – गिद्धों को लाश मिली, सुअरों को गंदगी, लेकिन आस्थावानों को पुण्य और गरीबों को रोजगार मिला।”
योगी आदित्यनाथ ने सदन में जोर देकर कहा कि महाकुंभ भारत की सनातन एकता का प्रतीक है और इस आयोजन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को साकार किया है। उन्होंने कहा कि कुंभ में बिना किसी भेदभाव के सभी जातियों और वर्गों के लोगों ने एक ही घाट पर स्नान किया, लेकिन विपक्ष इसे देखने में असमर्थ है।
“अच्छा लगा कि समाजवादी भी अब सनातनी हो गए”
मुख्यमंत्री ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर करारा तंज कसते हुए कहा कि जब सपा कमजोर होती है, तब उसे धर्म की याद आने लगती है। उन्होंने कहा, “अच्छा लगा कि समाजवादी भी अब सनातनी हो गए हैं।” विपक्ष द्वारा महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाने को लेकर योगी ने पलटवार किया और कहा कि अगर यह आयोजन वैश्विक स्तर का न होता तो अब तक 63 करोड़ श्रद्धालु इसमें शामिल नहीं होते।
“कुंभ में किसी जाति को जाने से नहीं रोका, लेकिन…”
महाकुंभ में एक जाति विशेष को रोके जाने के विपक्ष के आरोपों पर योगी ने स्पष्ट किया कि किसी भी जाति को कुंभ में जाने से नहीं रोका गया था। उन्होंने कहा, “हमने कहा था कि जो सद्भावना से आएगा, उसका स्वागत है, लेकिन जो दुर्भावना से आएगा, उसकी दुर्गति भी होगी।”
“2013 में कुंभ का जिम्मा गैर-सनातनी को सौंपा गया”
योगी आदित्यनाथ ने 2013 के कुंभ मेले की दुर्दशा का जिक्र करते हुए पूर्व की समाजवादी सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि तब मुख्यमंत्री को आयोजन की समीक्षा करने की फुर्सत नहीं थी और कुंभ का प्रभारी एक “गैर-सनातनी” को बना दिया गया था। इसका परिणाम यह हुआ कि श्रद्धालुओं को सिर्फ अव्यवस्था, भ्रष्टाचार और प्रदूषण देखने को मिला।
“2027 में हैट्रिक लगाएंगे”
विपक्ष के लगातार हमलों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने प्रदेश को सफलतापूर्वक चलाया है और जनता का विश्वास हासिल किया है। उन्होंने ऐलान किया कि “हम 2027 में फिर से आएंगे और हैट्रिक लगाएंगे।”
मुख्यमंत्री के इस जवाब के बाद सदन में सत्ता पक्ष के विधायकों ने जोरदार तालियां बजाईं, जबकि विपक्ष बैकफुट पर नजर आया। महाकुंभ पर विपक्ष के सवालों का जिस आक्रामकता से मुख्यमंत्री ने जवाब दिया, उससे साफ है कि आगामी चुनावों में भी यह मुद्दा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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