नई दिल्ली | भारतीय वायुसेना (IAF) की ताकत को नया आयाम देने के लिए एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वायुसेना को अपनी ऑपरेशनल क्षमता बनाए रखने के लिए हर साल 40 से 45 नए लड़ाकू विमानों की जरूरत होगी। यह बयान ऐसे समय आया है जब आने वाले वर्षों में मिराज-2000, मिग-29 और जगुआर जैसे पुराने फाइटर जेट्स रिटायर होने वाले हैं, जिससे वायुसेना की स्ट्राइक पावर में कमी आ सकती है।
HAL के तेजस पर भरोसा, लेकिन और तेज़ी की ज़रूरत
IAF प्रमुख ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश में फाइटर जेट उत्पादन की गति बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) अगले साल तक 24 तेजस मार्क-1ए फाइटर जेट तैयार करेगा, जो एक सकारात्मक संकेत है। हालांकि, मौजूदा उत्पादन दर को देखते हुए यह संख्या पर्याप्त नहीं होगी। उन्होंने कहा, “अगर हमें हर साल दो स्क्वाड्रन यानी 40-45 नए विमान चाहिए, तो हमें उत्पादन क्षमता में बड़ा इजाफा करना होगा।”
निजी क्षेत्र को मिलेगा बड़ा रोल?
एयर चीफ मार्शल ने रक्षा उत्पादन में निजी कंपनियों की भागीदारी को बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने टाटा और एयरबस के संयुक्त उद्यम द्वारा बनाए जा रहे C-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट का उदाहरण देते हुए कहा कि इसी तरह फाइटर जेट्स के निर्माण में भी निजी कंपनियों की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, “अगर हम निजी कंपनियों से हर साल 12-18 अतिरिक्त फाइटर जेट हासिल कर सकें, तो यह हमारे लिए गेम चेंजर साबित होगा।”
सप्लाई में देरी से टेंशन, 2025 से मिलेगी राहत
फाइटर जेट्स की आपूर्ति में हो रही देरी को लेकर भी IAF प्रमुख ने चिंता जताई। HAL ने पहले ही स्वीकार किया है कि तेजस मार्क-1ए की डिलीवरी में देरी हो रही है। हालांकि, कंपनी ने आश्वासन दिया है कि मार्च 2025 से अमेरिका से F-404 इंजन मिलने शुरू हो जाएंगे, जिससे उत्पादन की रफ्तार बढ़ेगी। साल 2025-26 में HAL भारतीय वायुसेना को 12 तेजस मार्क-1ए फाइटर जेट डिलीवर करेगा।
तेजस मार्क-2 और MRF ए जेट्स होंगे भविष्य का आधार
IAF की स्ट्राइक पावर को बरकरार रखने के लिए तेजस मार्क-2, मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) और अन्य स्वदेशी रक्षा परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। इसके अलावा, राफेल और सुखोई-30MKI जैसे आधुनिक लड़ाकू विमानों के अपग्रेड पर भी ध्यान दिया जा रहा है। रक्षा मंत्रालय और HAL के बीच 83 तेजस मार्क-1ए के लिए सौदा पहले ही हो चुका है, लेकिन वायुसेना को और अधिक जेट्स की आवश्यकता होगी।
भारत बनेगा ‘आसमान का सिकंदर’!
भारतीय वायुसेना दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर एयरफोर्स मानी जाती है। लेकिन भविष्य में किसी भी चुनौती से निपटने के लिए स्क्वाड्रन स्ट्रेंथ को और मजबूत करना जरूरी होगा। IAF प्रमुख के इस बयान के बाद यह साफ हो गया है कि आने वाले सालों में भारत अपने स्वदेशी लड़ाकू विमानों के दम पर न सिर्फ चीन और पाकिस्तान को जवाब देने के लिए तैयार रहेगा, बल्कि ‘आसमान का सिकंदर’ भी बनेगा!
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