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पाकिस्तान को प्यासा रखना भारत के लिए क्यों नहीं होगा आसान?


नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने का फैसला किया है, यानी अब पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी मिलना बंद हो सकता है। लेकिन सवाल उठता है—क्या पाकिस्तान को प्यासा रखना वाकई इतना आसान होगा?

पानी पर निर्भर है पाकिस्तान की खेती

सिंध और पंजाब प्रांत की 90 फीसदी खेती सिंधु जल पर टिकी हुई है। अगर भारत ने तीनों नदियों का पानी रोक दिया, तो पाकिस्तान की खेती चौपट हो सकती है। बिजली उत्पादन से लेकर पीने के पानी तक, हर क्षेत्र पर इसका गहरा असर पड़ेगा। जाहिर है, पाकिस्तान में हाहाकार मचना तय है।

पानी रोकना इतना आसान नहीं

हालांकि भारत का फैसला ऐतिहासिक है, लेकिन इसे अमल में लाना फौरन संभव नहीं। असल चुनौती यह है कि भारत के पास अभी वह आधारभूत ढांचा (Infrastructure) तैयार नहीं है, जिससे नदियों का पानी रातोंरात रोका जा सके। अगर जल्दबाजी में पानी रोका गया, तो जम्मू-कश्मीर और पंजाब जैसे राज्यों में बाढ़ का खतरा पैदा हो सकता है।

कौन-कौन से प्रोजेक्ट शुरू?

भारत ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। चिनाब नदी पर बगलीहार डैम और रतले प्रोजेक्ट के अलावा, चिनाब की सहायक नदी पर पाकल डुल डैम और झेलम की सहायक नदी नीलम पर किशनगंगा प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है। बगलीहार और किशनगंगा प्रोजेक्ट पहले से चालू हैं, लेकिन बाकी दो को पूरी तरह शुरू होने में अभी वक्त लगेगा।

पाकिस्तान ने दी कानूनी लड़ाई की धमकी

भारत के इस फैसले से पाकिस्तान बौखला गया है। उसने इसे ‘युद्ध की कार्रवाई’ करार दिया है और कहा है कि वह इस मामले को विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र तक ले जाएगा। पाकिस्तान को भरोसा है कि भारत के पास अभी पानी रोकने का तात्कालिक साधन नहीं है, इसलिए उसे कानूनी जंग के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।

कितना समय लगेगा?

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को इस दिशा में पूरी तैयारी करने में कम से कम 5 साल लग सकते हैं। इसके लिए बड़े बांधों का निर्माण, नहरों का विस्तार और पानी को स्टोर करने की सुविधाओं का विकास करना जरूरी होगा। साथ ही, भारत को अपने राज्यों में पानी के सही प्रबंधन की भी ठोस योजना बनानी होगी ताकि बाढ़ जैसी आपदाओं से बचा जा सके।

नतीजा क्या होगा?

भारत का फैसला कड़ा है, लेकिन उसे अमलीजामा पहनाने के लिए धैर्य, योजना और संसाधनों की जरूरत होगी। पाकिस्तान को प्यासा रखने का रास्ता लंबा और चुनौतीपूर्ण है, लेकिन अगर भारत अपनी रणनीति पर कायम रहा, तो आने वाले समय में इसका असर साफ दिखाई देगा।

https://indiafirst.news/india-pakistan-water-dispute-analysis

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