रांची। झारखंड की धरती पर एक बार फिर बिरसा मुंडा के नाम को लेकर ऐतिहासिक पहल की मांग तेज़ हो गई है। रांची स्थित बिरसा मुंडा एयरपोर्ट का नाम ‘भगवान बिरसा मुंडा एयरपोर्ट’ करने की मांग अब सरकार के दरवाज़े तक पहुंच गई है। समाजसेवी और ‘नमन – शहीदों के सपनों को’ संस्था के संस्थापक अध्यक्ष अमरप्रीत सिंह काले ने इस बाबत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक भावनात्मक और तथ्यपरक पत्र लिखते हुए आग्रह किया है कि राज्य सरकार इस नाम परिवर्तन के लिए केंद्र को अनुशंसा भेजे।
क्या है पत्र में?
काले ने पत्र में लिखा है कि
“झारखंड की सांस्कृतिक चेतना, आदिवासी अस्मिता और जनमानस में भगवान बिरसा मुंडा का स्थान ईश्वर तुल्य है। यह केवल सम्मान का विषय नहीं, बल्कि उनके जीवन के संघर्ष, बलिदान और आध्यात्मिक प्रभाव की सार्वजनिक स्वीकृति है।”
उन्होंने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं हर मंच से उन्हें ‘भगवान बिरसा मुंडा’ कहकर श्रद्धा अर्पित करते हैं। जब राष्ट्रीय स्तर पर यह मान्यता प्राप्त है, तो झारखंड की राजधानी का प्रमुख एयरपोर्ट इस ऐतिहासिक न्याय से वंचित क्यों रहे?”
नामकरण की संवेदनशीलता
बिरसा मुंडा केवल एक स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे, बल्कि वह आदिवासी समाज की चेतना के प्रतीक हैं। उन्हें भगवान के रूप में पूजा जाता है। झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा और बंगाल के लाखों आदिवासी परिवारों की आस्था उनसे जुड़ी है। ऐसे में एयरपोर्ट का नाम बदलकर ‘भगवान बिरसा मुंडा एयरपोर्ट’ करना केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्स्थापना का प्रतीक होगा।
राजनीतिक और सामाजिक संकेत
इस मांग के ज़रिए झारखंड में आदिवासी अस्मिता की पुनर्पहचान का एक नया विमर्श खुल सकता है। राज्य सरकार पहले भी कई मौकों पर आदिवासी नायकों को सम्मान देने के प्रयास करती रही है, लेकिन यह कदम राष्ट्रीय फलक पर एक बड़ा संदेश होगा।
अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के रुख पर टिकी हैं। क्या वह इस मांग को समर्थन देकर केंद्र सरकार को सिफारिश भेजेंगे? या यह मुद्दा भी उन कई प्रतीकात्मक मांगों में शामिल होकर धूमिल हो जाएगा?
फ़िलहाल, राज्य के सामाजिक संगठनों और आम जनता के बीच यह बहस तेज़ हो चुकी है – “अगर हर मंच पर भगवान बिरसा मुंडा कहा जाता है, तो एयरपोर्ट का नाम क्यों नहीं?”
https://indiafirst.news/demand-to-rename-ranchi-airport


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