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धरती पर तबाही का अलार्म! खतरे में तटीय शहर, समुद्र निगल जाएगा मुंबई, कोलकता, न्यूयॉर्क, टोक्यो?

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धरती पर तबाही का अलार्म! खतरे में तटीय शहर, समुद्र निगल जाएगा मुंबई, कोलकता, न्यूयॉर्क, टोक्यो?

नई दिल्ली। धरती के लिए एक और खतरनाक संकेत सामने आया है। वैज्ञानिकों की चेतावनी है कि अगर हालात नहीं बदले, तो आने वाले सालों में मुंबई, कोलकाता, न्यूयॉर्क और लंदन जैसे शहर समुद्र में समा सकते हैं। कारण है धरती की बर्फीली चादर का लगातार पिघलना, जिसकी वजह से समुद्र का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है।

समुद्र में समा सकते हैं बड़े शहर

यूरोप के जलवायु निगरानी संगठन कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस की रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी 2025 दुनिया का तीसरा सबसे गर्म फरवरी महीना रहा। अंटार्कटिका और आर्कटिक में समुद्री बर्फ का दायरा 16.04 मिलियन वर्ग किलोमीटर तक सिमट गया, जो अब तक का सबसे कम स्तर है।

इसका सीधा असर तटीय शहरों पर पड़ेगा:

  • मुंबई और कोलकाता जैसे भारतीय शहरों में जलभराव और बाढ़ का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा।
  • मालदीव, इंडोनेशिया और अन्य छोटे द्वीपों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है।
  • न्यूयॉर्क, लंदन, टोक्यो जैसे वैश्विक महानगरों के निचले इलाकों में रहने वाले लाखों लोग विस्थापित हो सकते हैं।

आसमान से बरसेगी आग, बढ़ेंगी हीटवेव और सूखा

वैज्ञानिकों का कहना है कि बर्फ सूरज की किरणों को परावर्तित करके धरती को ठंडा रखती है। लेकिन जब बर्फ की चादर पिघलेगी, तो धरती सूरज की गर्मी को ज्यादा सोखेगी, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और बढ़ेगी।

  • गर्मी का प्रकोप बढ़ेगा, जिससे हीटवेव, सूखा और जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ेंगी।
  • हिमालय, आल्प्स और एंडीज़ की बर्फ पिघलने से गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु जैसी नदियों में पानी की भारी कमी हो सकती है।
  • इससे खेती, पीने के पानी और बिजली उत्पादन पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा, जिससे वैश्विक खाद्य संकट खड़ा हो सकता है।

भूख और महंगाई से मचेगी हाहाकार

जलवायु परिवर्तन सिर्फ पर्यावरण ही नहीं, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था को भी हिला देगा।

  • सूखे और बाढ़ से गेहूं, चावल, मक्का और सब्जियों की पैदावार घटेगी, जिससे खाद्य पदार्थ महंगे होंगे।
  • गरीब देशों में भूखमरी का संकट बढ़ेगा और लोग पलायन करने पर मजबूर होंगे।

प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है!

बर्फ के पिघलने से समुद्री धाराओं (Ocean Currents) में बदलाव आ सकता है, जिससे मौसम की अनिश्चितताएं और बढ़ेंगी।

  • एल नीनो और ला नीना जैसे जलवायु चक्र ज्यादा तीव्र हो सकते हैं।
  • अचानक आई बर्फीली आंधियां, बेमौसम बारिश और तेज़ तूफान इंसानी जीवन को और मुश्किल बना सकते हैं।

समाधान क्या है?

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस संकट से बचने के लिए कार्बन उत्सर्जन को तुरंत कम करना होगा।

  • कोयला, तेल और गैस के इस्तेमाल को सीमित करना होगा।
  • सौर और पवन ऊर्जा जैसी हरित तकनीकों को बढ़ावा देना होगा।
  • वनों की कटाई रोककर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे।

अगर हमने अभी कदम नहीं उठाए, तो जल्द ही वह दिन आ सकता है जब धरती पर जीवन पहले जैसा नहीं रहेगा। बर्फ पिघलती रहेगी, समुद्र बढ़ता रहेगा, और तबाही दस्तक देती रहेगी!

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