लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से बाहर कर दिया है, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। हाल ही में, 2 फरवरी को उन्हें पार्टी के सभी पदों से हटा दिया गया था, और अब सोमवार को पार्टी से भी निकाल दिया गया। यह फैसला कई सवाल खड़े कर रहा है- क्या मायावती को अपने भतीजे पर भरोसा नहीं रहा? या फिर पार्टी के भीतर कोई गहरी राजनीतिक रणनीति चल रही है?
सियासी तूफान की वजह क्या?
मायावती ने जब आकाश आनंद को बीएसपी का नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया था, तब यह माना जा रहा था कि वह पार्टी के भविष्य के नेता हो सकते हैं। लेकिन कुछ ही महीनों बाद यह रिश्ता कड़वाहट में बदल गया। मायावती के इस कदम के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है आकाश आनंद का अपने ससुराल पक्ष के प्रभाव में आना।
बसपा के बयान में साफ कहा गया कि आकाश आनंद के राजनीतिक करियर को खराब करने के लिए उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ जिम्मेदार हैं। मायावती के अनुसार, आकाश पार्टी से ज्यादा अपने ससुराल पक्ष की राजनीति में व्यस्त थे, जिससे बसपा को नुकसान हो रहा था।
बुआ-भतीजे के बीच खटास की असली वजह
- अशोक सिद्धार्थ की भूमिका: पिछले महीने मायावती ने आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाला था। इसके बाद से ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि आकाश आनंद भी इसी कारण मायावती की नजरों में गिर सकते हैं।
- पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल: मायावती को लगने लगा था कि आकाश आनंद पार्टी को पूरी तरह से समय नहीं दे रहे हैं और ससुराल पक्ष के प्रभाव में ज्यादा हैं।
- नेतृत्व पर सीधा नियंत्रण: मायावती ने यह भी साफ कर दिया कि उनकी पार्टी का कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा। इससे साफ है कि वह अपनी पार्टी को परिवारवाद से दूर रखना चाहती हैं और बसपा की कमान पूरी तरह अपने हाथ में रखना चाहती हैं।
क्या खत्म हो गया आकाश आनंद का राजनीतिक करियर?
मायावती के इस फैसले के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या आकाश आनंद का राजनीतिक करियर खत्म हो गया है? या फिर वह किसी नई रणनीति के साथ वापसी करेंगे?
फिलहाल, मायावती के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि वह बसपा में किसी भी तरह के पारिवारिक दखल को बर्दाश्त नहीं करेंगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आकाश आनंद इस झटके से उबरकर अपनी अलग राजनीतिक राह बनाते हैं या फिर बसपा में वापसी की कोशिश करते हैं।
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