मुंबई। ग्लैमर और मनोरंजन की दुनिया में पपराज़ी और सेलिब्रिटीज़ का रिश्ता सदियों से जटिल और विरोधाभासी रहा है। जहां पपराज़ी कैमरों की चमक से सितारों की ज़िंदगी सुर्खियों में बनी रहती है, वहीं कई बार यही चमक उनकी निजता पर आक्रमण भी कर देती है। हाल ही में कुछ बड़े बॉलीवुड और हॉलीवुड कलाकारों ने पपराज़ी के बढ़ते दखल पर नाराजगी जताई, जिससे यह बहस एक बार फिर गरम हो गई है कि मीडिया की स्वतंत्रता और व्यक्तिगत गोपनीयता के बीच सही संतुलन कैसे बनाया जाए।
जब कैमरे पीछा करने लगे
पपराज़ी यानी स्वतंत्र फोटोग्राफर, जो सेलिब्रिटीज़ की हर छोटी-बड़ी गतिविधि को कैमरे में कैद करने के लिए जाने जाते हैं। एयरपोर्ट लुक, जिम से निकलते हुए तस्वीरें, निजी डिनर डेट्स या वेकेशन के दौरान ली गई तस्वीरें—इन सबका बाज़ार गर्म रहता है। कई मीडिया हाउस और डिजिटल प्लेटफॉर्म इन तस्वीरों के लिए मोटी रकम चुकाते हैं, जिससे पपराज़ी इंडस्ट्री एक बड़ी व्यवसायिक गतिविधि बन चुकी है।
हाल ही में बॉलीवुड अभिनेत्री आलिया भट्ट ने अपने घर की बालकनी में बैठी तस्वीरें क्लिक किए जाने पर आपत्ति जताई थी, जिसे उन्होंने निजता का गंभीर उल्लंघन करार दिया। रणबीर कपूर और करीना कपूर ने भी कई बार पपराज़ी संस्कृति पर सवाल उठाए हैं। वहीं, हॉलीवुड में किम कार्दशियन, जस्टिन बीबर और टेलर स्विफ्ट जैसे सितारे पपराज़ी से परेशान होकर कई बार कानूनी कार्रवाई कर चुके हैं।
लोकप्रियता का जरिया या निजता पर हमला?
पपराज़ी और सेलेब्रिटीज़ के इस रिश्ते का दूसरा पहलू यह भी है कि कई बार यही फोटोग्राफर्स किसी उभरते सितारे को चर्चा में ला सकते हैं। सोशल मीडिया के इस दौर में किसी सेलिब्रिटी की तस्वीर वायरल होते ही वह ट्रेंडिंग टॉपिक बन जाता है। कई सितारे इस मीडिया कवरेज का फायदा उठाकर अपनी लोकप्रियता बढ़ाने से नहीं हिचकते।
बॉलीवुड के कुछ सितारे, जैसे कि दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह, पपराज़ी के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखते हैं। वे कैमरों के लिए पोज़ भी देते हैं और कभी-कभी अपने शूटिंग शेड्यूल या इवेंट्स की जानकारी खुद लीक कर देते हैं ताकि वे खबरों में बने रहें।
कानूनी विवाद और मीडिया की सीमाएं
पिछले कुछ वर्षों में निजता के उल्लंघन के कई मामले अदालतों तक पहुंचे हैं। 2017 में जॉर्ज और अमल क्लूनी ने अपने नवजात जुड़वां बच्चों की तस्वीरें खींचने पर पपराज़ी पर मुकदमा किया था। भारत में भी निजता के अधिकार को लेकर चर्चाएं तेज़ हुई हैं, खासकर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद जिसमें निजता को मौलिक अधिकार बताया गया था।
मीडिया स्वतंत्रता बनाम व्यक्तिगत निजता- इस जंग का समाधान क्या है?
आगे की राह: संतुलन कैसे बने?
- एथिकल जर्नलिज्म: मीडिया हाउस और फोटोग्राफरों को तय करना होगा कि क्या एक सेलिब्रिटी की निजी जिंदगी को सार्वजनिक करना वास्तव में ‘समाचार’ की श्रेणी में आता है या नहीं।
- कानूनी सुरक्षा: सरकारों को पपराज़ी संस्कृति को नियंत्रित करने के लिए स्पष्ट नियम बनाने होंगे ताकि सितारों की निजता सुरक्षित रह सके।
- सेलिब्रिटीज़ की भूमिका: सितारों को भी इस बात की स्पष्टता रखनी होगी कि वे कब मीडिया की सुर्खियां बनना चाहते हैं और कब नहीं।
ग्लैमर की इस चकाचौंध भरी दुनिया में पपराज़ी और सेलिब्रिटीज़ का खेल जारी रहेगा, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में मीडिया और निजता के बीच यह संतुलन कैसे बनता है।
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