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बैलगाड़ी में विदाई, 11 हजार पौधे और समाज सेवा के 10 वचन- गाजियाबाद की यह अनोखी शादी बनी मिसाल

अनोखी शादी गाजियाबाद

गाजियाबाद | जब देशभर में शादियों में बेतहाशा खर्च और दिखावे का दौर चल रहा है, ऐसे में गाजियाबाद के रईसपुर गांव के किसान सुरविंदर और उनकी मंगेतर प्रिया चौधरी ने एक मिसाल कायम करने का फैसला किया है। उनकी शादी न केवल दहेज-मुक्त हुई , बल्कि विदाई भी बैलगाड़ी में हुई और वर-वधू ने 10 अनोखे संकल्प लिए, जो समाज और पर्यावरण के प्रति उनकी जिम्मेदारी को दर्शाएंगे।

ईको-फ्रेंडली शादी: दहेज नहीं, 11 हजार पौधे उपहार में

सुरविंदर और प्रिया ने अपनी शादी को पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक जागरूकता का माध्यम बनाया है। वर पक्ष ने वधू पक्ष से किसी भी प्रकार का दहेज लेने से इनकार कर दिया है और इसके बजाय 11 हजार पौधे लगाने का संकल्प लिया है। यह कदम न केवल पर्यावरण सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, बल्कि समाज में दहेज जैसी कुप्रथा के खिलाफ भी एक सशक्त संदेश देगा।

बैलगाड़ी से विदाई, दिखावे से परहेज

आमतौर पर शादियों में दुल्हन की विदाई के लिए महंगी लग्जरी गाड़ियां इस्तेमाल होती हैं, लेकिन इस शादी में दुल्हन की विदाई पारंपरिक बैलगाड़ी से की गई। यह कदम परंपराओं को संजोने के साथ-साथ समाज में बढ़ते दिखावे और खर्चीली शादियों के खिलाफ एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश किया गया।

10 सामाजिक संकल्प, जो बनाएंगे इस शादी को यादगार

इस अनोखी शादी में सुरविंदर और प्रिया सात फेरों के दौरान 10 विशेष संकल्प लिए, जो समाज और पर्यावरण के लिए लाभकारी होंगे। इनमें से कुछ प्रमुख संकल्प निम्नलिखित हैं—

  1. रक्तदान को बढ़ावा देंगे और स्वयं नियमित रक्तदान करेंगे।
  2. हर साल अपनी शादी की सालगिरह पर पौधारोपण करेंगे।
  3. बेटी और बेटे में समानता का संदेश देंगे और कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जागरूकता फैलाएंगे।
  4. अन्न और जल की बर्बादी नहीं करेंगे और दूसरों को भी प्रेरित करेंगे।
  5. स्वच्छता अभियान में सक्रिय भागीदारी निभाएंगे।
  6. समाज में दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज उठाएंगे।
  7. जरूरतमंदों की मदद के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
  8. शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए गरीब बच्चों की मदद करेंगे।
  9. नशामुक्त समाज बनाने में सहयोग करेंगे।
  10. पर्यावरण बचाने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाएंगे और प्लास्टिक के प्रयोग से बचेंगे।

समाज में बदलाव का संदेश

यह शादी महज एक पारंपरिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सामाजिक महोत्सव बन चुकी है। सुरविंदर और प्रिया का यह कदम समाज में दहेज, प्रदूषण और गैर-जरूरी खर्चों के खिलाफ एक जागरूकता अभियान जैसा है।

रईसपुर गांव के बुजुर्गों और युवा पीढ़ी ने इस अनोखी पहल की सराहना की है। स्थानीय लोग भी इस शादी से प्रेरित होकर अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प ले रहे हैं।

गाजियाबाद की यह अनोखी शादी समाज में नई सोच को जन्म देने वाली है। जब पूरी दुनिया भव्य और महंगी शादियों की ओर बढ़ रही है, तब सुरविंदर और प्रिया का यह साहसिक निर्णय हमें सादगी, सामाजिक सेवा और पर्यावरण संरक्षण का महत्वपूर्ण संदेश देता है। यह शादी न केवल यादगार बनेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी होगी।

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