बोकारो में युवा विधायक जयराम महतो के खिलाफ विरोध की लहर थमने का नाम नहीं ले रही। बोकारो स्टील प्लांट में विस्थापितों के आंदोलन के दौरान विरोध झेलने के महज तीन दिन बाद, एक बार फिर उन्हें झारखंड के पूर्व स्कूली शिक्षा एवं मद्य निषेध और उत्पाद मंत्री रहे स्व. जगरनाथ महतो की पुण्यतिथि समारोह में शामिल होने से रोक दिया गया। यह घटना रविवार, 6 अप्रैल को चंद्रपुरा प्रखंड के सिंगारी मोड़ स्थित बीएड कॉलेज मैदान में घटी, जहां जगरनाथ महतो की दूसरी पुण्यतिथि मनायी जा रही थी।
सूत्रों के अनुसार, जब विधायक जयराम महतो समारोह स्थल पहुंचे, तो जगरनाथ महतो के समर्थकों ने उन्हें बीएड कॉलेज के गेट पर ही रोक दिया। समर्थकों ने कहा, “आप कल आइये, कार्यक्रम पांच दिन तक चलेगा।” इसके बाद जयराम महतो बिना शामिल हुए लौट गये। राजनीतिक गलियारों में इसे युवा विधायक के बढ़ते विरोध और स्थानीय असंतोष के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
श्रद्धांजलि सभा में उमड़ा जनसैलाब, बड़े नेताओं की मौजूदगी

जगरनाथ महतो की पुण्यतिथि के मौके पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में झारखंड सरकार के मंत्री योगेंद्र प्रसाद महतो, सुदिव्य कुमार सोनू, टुंडी विधायक मथुरा प्रसाद महतो, बेरमो विधायक कुमार जयमंगल, पूर्व मंत्री बेबी देवी, कांग्रेस नेता अनुपमा सिंह और जलेश्वर महतो समेत कई प्रमुख नेता उपस्थित रहे। सभी ने समाधि स्थल पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
डुमरी, नावाडीह, चंद्रपुरा, बेरमो व अन्य प्रखंडों से भारी संख्या में लोग जुलूस की शक्ल में समारोह स्थल पहुंचे। भीड़ ने यह स्पष्ट कर दिया कि जगरनाथ महतो का जनाधार आज भी बरकरार है।
वक्ताओं ने गिनाईं उपलब्धियां, जताया भावी नेतृत्व पर भरोसा
मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने सभा में कहा, “जगरनाथ महतो पार्टी की सबसे मजबूत आवाज थे। उन्होंने 60,000 पारा शिक्षकों, 80,000 रसोइयों और आंगनबाड़ी सेविकाओं-सहायिकाओं के हक की लड़ाई लड़ी।” वहीं टुंडी विधायक मथुरा महतो ने उन्हें 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति का सच्चा पक्षधर बताया।
बेरमो विधायक कुमार जयमंगल ने उन्हें ‘एक सोच’ बताया और कहा कि “उनकी कमी हमेशा खलेगी। उनका सपना था कि बेटा अखिलेश विधानसभा पहुंचे।” सभा में बार-बार यह बात उठती रही कि अखिलेश महतो को 2029 में विधानसभा भेजा जाए, ताकि स्वर्गीय जगरनाथ महतो के अधूरे सपनों को पूरा किया जा सके।
अखिलेश महतो का तीखा हमला

सभा में अपने पिता के संघर्षों को याद करते हुए अखिलेश महतो ने कहा, “चुनाव के समय युवाओं को भ्रमित किया गया। कहा गया कि कोई सुविधा नहीं लेंगे, लेकिन जीतते ही सारी सुविधाएं लेने लगे। अगला चुनाव हम मजबूती से लड़ेंगे और एक लाख मतों से हराकर माननीय को वापस भेजेंगे।”
सेविकाओं और स्थानीय संगठनों ने दी श्रद्धांजलि
चंद्रपुरा प्रखंड की सेविकाएं सत्यवती महतो के नेतृत्व में समाधि स्थल पहुंचीं और श्रद्धांजलि दी। उन्होंने स्व. महतो को सेविकाओं-सहायिकाओं के संघर्षों का सच्चा साथी बताया। मौके पर मीरा देवी, नीलम देवी, आशा देवी समेत कई सेविकाएं मौजूद थीं।
5 दिवसीय स्मृति मेला शुरू
इस अवसर पर पांच दिवसीय स्मृति मेला की शुरुआत भी हुई। 7 अप्रैल को संताली सांस्कृतिक कार्यक्रम, 8 अप्रैल को कव्वाली, 9 अप्रैल को नागपुरी और खोरठा लोकगीत, और 10 अप्रैल को झूमर का आयोजन होगा।
राजनीतिक संकेत साफ: जयराम के लिए चुनौती बढ़ी
इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि बोकारो और आसपास के क्षेत्रों में जयराम महतो के लिए राजनीतिक राह आसान नहीं रह गई है। जगरनाथ महतो की विरासत, उनके समर्थकों की भावनाएं और झारखंड मुक्ति मोर्चा की आक्रामक रणनीति आने वाले समय में झारखंड की राजनीति में नए समीकरण बना सकती हैं।
https://indiafirst.news/jairam-mahto-stopped-from-jagarnath-mahato-event
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