पटना। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने रविवार को एक ऐसा कदम उठाया जिसने न सिर्फ बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी, बल्कि राजनीतिक शुचिता और पारिवारिक मर्यादा को लेकर एक कड़ा संदेश भी दे दिया। उन्होंने अपने ज्येष्ठ पुत्र और पार्टी के वरिष्ठ नेता तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार, दोनों से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
लालू यादव ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जारी एक सख्त बयान में लिखा,
“निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना हमारे सामाजिक न्याय के सामूहिक संघर्ष को कमजोर करती है। तेज प्रताप का लोक आचरण और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों के अनुरूप नहीं है।”
लालू ने घोषणा की कि तेज प्रताप यादव को 6 वर्षों के लिए राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से निष्कासित किया जाता है और अब से उनका पार्टी या परिवार में कोई भी दखल नहीं रहेगा।
क्या है पूरा मामला?
इस कार्रवाई की पृष्ठभूमि एक विवादित सोशल मीडिया पोस्ट है। शनिवार (24 मई) को तेज प्रताप यादव के फेसबुक अकाउंट से एक तस्वीर साझा की गई थी, जिसमें वे एक युवती अनुष्का यादव के साथ नजर आ रहे थे। पोस्ट में लिखा था कि वे पिछले 12 वर्षों से रिलेशनशिप में हैं।
हालांकि कुछ ही घंटों बाद तेज प्रताप ने सफाई दी कि उनका अकाउंट हैक कर लिया गया था और वह तस्वीर AI से बनाई गई फर्जी छवि थी। लेकिन तब तक सोशल मीडिया पर तस्वीर वायरल हो चुकी थी और पार्टी की छवि को झटका लग चुका था।
लोगों की प्रतिक्रिया: तारीफ भी, सवाल भी

लालू यादव के इस अप्रत्याशित और कठोर कदम पर सोशल मीडिया दो धड़ों में बंट गया है।
- एक यूजर ने लिखा: “ऐसे ही नहीं लोग लालू जी को मसीहा कहते हैं। परिवार से ऊपर विचारधारा को रखा।”
- वहीं दूसरे ने सवाल उठाया: “क्या एक सार्वजनिक पद पर रहे तेज प्रताप की निजी हरकतें सिर्फ निष्कासन से खत्म हो जाती हैं? जनता को अब सिर्फ बयान नहीं, न्याय और पारदर्शिता चाहिए।”
राजनीतिक संकेत और पारिवारिक संदेश
लालू यादव का यह कदम न केवल पार्टी अनुशासन को लेकर एक मिसाल बनाता है, बल्कि एक साफ संदेश देता है कि राजनीतिक परिवारों में भी लोकलाज और सार्वजनिक छवि सर्वोपरि होनी चाहिए।
इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि RJD अब ‘परिवारवादी राजनीति’ के टैग से बाहर निकलने की कोशिश कर रही है और पारदर्शिता और जवाबदेही को प्राथमिकता दे रही है।
तेज प्रताप यादव का भविष्य अब अनिश्चितताओं से घिर गया है, वहीं लालू प्रसाद यादव ने दिखा दिया कि राजनीतिक विरासत से कहीं ज्यादा अहम है लोकनीति और नैतिकता। यह घटना बिहार की राजनीति के भविष्य में कई नई बहसों और समीकरणों को जन्म दे सकती है।
https://indiafirst.news/lalu-prasad-yadav–expels-tej-pratap-6-years



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