पलामू: झारखंड सरकार की नई उत्पाद नीति के तहत एक अप्रैल से शराब की दुकानों का संचालन झारखंड राज्य बिवरेजेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (JSBCL) को सौंपने का फैसला किया गया है। हालांकि, इस निर्णय के अमल में कई चुनौतियां सामने आ रही हैं। जिले में संचालित 79 शराब दुकानों के संचालन को लेकर गहरी अनिश्चितता बनी हुई है।
मैन पावर की भारी कमी
JSBCL के सामने सबसे बड़ी समस्या मैन पावर की है। वर्तमान में शराब दुकानों में कार्यरत कर्मियों में से अधिकांश का नियोजनालय में निबंधन नहीं है। विभाग के नियमानुसार केवल नियोजनालय में निबंधित कर्मियों को ही रखा जा सकता है।
एक शराब दुकान के संचालन के लिए कम से कम तीन सेल्समैन की जरूरत होती है, ऐसे में 79 दुकानों के लिए 227 कर्मियों की आवश्यकता होगी। लेकिन इस समय कार्यरत कर्मियों में 150 से अधिक कर्मियों का नियोजनालय में पंजीकरण नहीं है। इस स्थिति में 1 अप्रैल से सभी दुकानों का सुचारू संचालन असंभव नजर आ रहा है।
ओवर रेटिंग का खेल फिर शुरू होने की आशंका
विभागीय सूत्रों के अनुसार, यदि मौजूदा कर्मियों से ही दुकानों का संचालन जारी रहता है तो ओवर रेटिंग का खेल एक बार फिर से शुरू हो सकता है। उत्पाद विभाग के पास इस पर नियंत्रण रखने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। इस समय पूरे जिले में सिर्फ दो उत्पाद दारोगा हैं, जो इतनी बड़ी व्यवस्था पर निगरानी नहीं रख सकते।
8 महीने से नहीं मिला वेतन, 4 करोड़ रुपये का बकाया
शराब दुकानों में मैन पावर सप्लाई करने वाली केएस कंपनी के कर्मियों को बीते आठ महीनों से वेतन नहीं मिला है। सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान ओवर रेटिंग से हुई वसूली से ही काम चलाया गया।
इसके अलावा, कंपनी ने शराब बिक्री का करीब 4 करोड़ रुपये सरकार के खाते में जमा नहीं किया है। 31 मार्च के बाद इस रकम की वसूली विभाग के लिए एक कठिन चुनौती होगी।
शराब बिक्री के आंकड़ों में हेराफेरी?
31 मार्च से पहले शराब बिक्री के आंकड़ों में भी गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है। पिछले सप्ताह बिक्री में अचानक गिरावट दर्ज की गई।
22 मार्च से 29 मार्च के बिक्री आंकड़े:
- 22 मार्च: ₹70.05 लाख
- 23 मार्च: ₹62.73 लाख
- 24 मार्च: ₹51.80 लाख
- 25 मार्च: ₹45.10 लाख
- 26 मार्च: ₹35.92 लाख
- 27 मार्च: ₹30.22 लाख
- 28 मार्च: ₹30.75 लाख
- 29 मार्च: ₹65 लाख
बिक्री के आंकड़ों में अचानक गिरावट से संकेत मिलता है कि अंतिम दिनों में एजेंसी ने अपने स्तर पर गड़बड़ी की है।
राजस्व का नुकसान तय
अगर सभी 79 शराब दुकानें 1 अप्रैल से नहीं खुलती हैं, तो यह राज्य सरकार के राजस्व पर सीधा असर डालेगा। सरकार को इस बदलाव को प्रभावी बनाने के लिए जल्द से जल्द मैन पावर की समस्या का समाधान निकालना होगा, अन्यथा यह नई नीति अपने शुरुआती चरण में ही असफल हो सकती है।
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