महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो भगवान शिव की उपासना के लिए समर्पित है। यह पर्व हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। महाशिवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है “भगवान शिव की महान रात्रि”। इस दिन शिव भक्त व्रत रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं और शिवलिंग का अभिषेक कर भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
महाशिवरात्रि न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन विशेष खगोलीय घटनाएँ होती हैं, जिनका प्रभाव मानव शरीर और मन पर सकारात्मक पड़ता है। आइए इस पर्व के महत्व, धार्मिक कथाओं और इससे जुड़े रोचक तथ्यों पर गहराई से चर्चा करते हैं।
महाशिवरात्रि का महत्व
धार्मिक महत्व
- भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह – एक मान्यता के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन को शिव-शक्ति के मिलन के रूप में भी मनाया जाता है।
- शिवलिंग का प्राकट्य – स्कंद पुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव स्वयं लिंग रूप में प्रकट हुए थे। इसे ‘ज्योतिर्लिंग’ का प्राकट्य दिवस भी माना जाता है।
- समुद्र मंथन और विषपान – पुराणों के अनुसार, जब देवता और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया था, तब हलाहल विष निकला। इस विष को भगवान शिव ने ग्रहण कर अपने कंठ में धारण किया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वे ‘नीलकंठ’ कहलाए।
आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व
- योग और ध्यान के साधकों के लिए महाशिवरात्रि विशेष होती है। इस दिन ध्यान और साधना करने से आत्मशुद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- वैज्ञानिक दृष्टि से, इस दिन पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति विशेष स्थिति में होती है, जिससे मन और शरीर में ऊर्जा का संचार बढ़ता है।
महाशिवरात्रि से जुड़ी प्रमुख पौराणिक कथाएँ
1. समुद्र मंथन और भगवान शिव
महाभारत और विष्णु पुराण के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया, तब उसमें से 14 रत्न निकले। इनमें से एक हलाहल विष भी था, जो इतना जहरीला था कि इससे संपूर्ण सृष्टि के नष्ट होने का खतरा उत्पन्न हो गया।
देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे इस विष को ग्रहण करें। शिव ने करुणा दिखाते हुए विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। माता पार्वती ने उनके कंठ को कसकर पकड़ लिया, जिससे वह विष उनके शरीर में नहीं फैला और उनका कंठ नीला हो गया। इस कारण वे ‘नीलकंठ’ कहलाए। माना जाता है कि यह घटना महाशिवरात्रि के दिन हुई थी।
2. शिवलिंग का प्रकट होना
स्कंद पुराण में एक अन्य कथा मिलती है कि एक बार भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा के बीच यह विवाद हुआ कि उनमें से कौन श्रेष्ठ है। तब भगवान शिव एक विशाल अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट हुए और कहा कि जो इस स्तंभ का आदि या अंत खोज लेगा, वही श्रेष्ठ होगा।
भगवान विष्णु ने वराह रूप धारण कर स्तंभ का आधार खोजने का प्रयास किया, जबकि ब्रह्मा जी हंस रूप धारण कर इसके ऊपरी भाग की खोज में निकले। लेकिन दोनों ही इसे खोजने में असफल रहे। इससे यह सिद्ध हुआ कि भगवान शिव ही सर्वोच्च हैं। यह घटना भी महाशिवरात्रि के दिन हुई मानी जाती है।
3. शिकारी और बिल्व पत्र की कथा
पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि एक शिकारी जंगल में शिकार के लिए गया। रात को उसे शेर की डरावनी आवाज़ सुनाई दी, जिससे वह एक बेल वृक्ष पर चढ़कर रात गुजारने लगा। डर के कारण वह बार-बार अपने धनुष से बेल के पत्ते तोड़कर नीचे गिराने लगा, जो संयोग से एक शिवलिंग पर गिरते रहे।
अगली सुबह उसे ज्ञात हुआ कि उसने अनजाने में पूरी रात भगवान शिव की पूजा कर ली थी। इसके प्रभाव से उसके समस्त पाप समाप्त हो गए और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई। यह कथा यह दर्शाती है कि महाशिवरात्रि के दिन शिव की पूजा से पापों का नाश होता है।

महाशिवरात्रि पर व्रत और पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और रात को शिव पूजन करते हैं। पूजा की मुख्य विधि इस प्रकार है:
- स्नान और संकल्प – सुबह जल्दी उठकर गंगा जल या शुद्ध जल से स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- शिवलिंग अभिषेक – शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें।
- रात्रि जागरण – रातभर भगवान शिव की आराधना करें और ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
- भजन-कीर्तन – शिव भजन गाने से विशेष पुण्य मिलता है।
- अगले दिन पारण – व्रत का पारण अगले दिन प्रातः फलाहार से करें।
महाशिवरात्रि से जुड़े रोचक तथ्य
- 12 ज्योतिर्लिंगों पर विशेष अनुष्ठान – महाशिवरात्रि के दिन भारत के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों (सोमनाथ, काशी विश्वनाथ, केदारनाथ, महाकालेश्वर आदि) पर विशेष पूजा होती है।
- 4 प्रहर की पूजा – शिवरात्रि पर 4 प्रहर की पूजा का विशेष महत्व है, जिसमें हर प्रहर में विशेष अभिषेक और आरती की जाती है।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाने का वैज्ञानिक कारण – शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है और मानसिक शांति मिलती है।
- भगवान शिव को भांग और धतूरा क्यों चढ़ाया जाता है? – मान्यता है कि शिव ने समुद्र मंथन के समय विष ग्रहण किया था, जिससे उनकी उष्णता कम करने के लिए उन्हें भांग और धतूरा चढ़ाया जाता है।
- महाशिवरात्रि पर गंगाजल का महत्व – गंगाजल शिव को अति प्रिय है, क्योंकि यह भगवान शिव की जटाओं से प्रवाहित हुआ था।
महाशिवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि यह आत्मशुद्धि और ईश्वर भक्ति का पर्व भी है। यह दिन भगवान शिव के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने, आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने और सकारात्मक ऊर्जा ग्रहण करने का उत्तम अवसर प्रदान करता है।
भारत में यह पर्व विशेष धूमधाम से मनाया जाता है, जहां लाखों भक्त शिवालयों में जाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। इस दिन किए गए व्रत और पूजा से न केवल जीवन में शांति और सुख-समृद्धि आती है, बल्कि आत्मा को भी मोक्ष की ओर बढ़ने का अवसर मिलता है।
ये भी खबर पढ़ें:
https://indiafirst.news/religious-beliefs-of-mahashivaratri
Leave a Reply