चेन्नई। शादी के महज एक महीने बाद ही जब सोनी बिष्ट के पति, सिपाही नीरज सिंह भंडारी का एक दुर्घटना में निधन हो गया, तो उनके जीवन में अंधेरा छा गया। लेकिन इस त्रासदी ने उन्हें तोड़ा नहीं, बल्कि एक नया संकल्प दिया। सोनी ने अपने दर्द को अपने हौसले में बदलते हुए अपने पति के सपने को जीने का फैसला किया-भारतीय सेना की वर्दी पहनने का।
शनिवार को जब चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) में ‘पासिंग आउट परेड’ हुई, तो सोनी बिष्ट ने किसी शोकाकुल विधवा के रूप में नहीं, बल्कि एक जांबाज़ योद्धा के रूप में कदम बढ़ाया। उनकी आंखों में दृढ़ निश्चय था और दिल में देशसेवा की लौ जल रही थी।
सोनी उन 133 अधिकारी कैडेट्स और 24 महिला अधिकारी कैडेट्स में शामिल थीं, जिन्हें भारतीय सेना की विभिन्न इकाइयों में शामिल किया गया। यह पल सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि हर उस महिला के लिए प्रेरणा था, जो मुश्किलों से हार मानने के बजाय उन्हें चुनौती देने का जज़्बा रखती हैं।
पति का सपना, सोनी की हकीकत
नीरज सिंह भंडारी हमेशा चाहते थे कि उनकी पत्नी भी सेना की वर्दी पहने। उनके जाने के बाद सोनी ने अपने जीवन को उनके सपने के प्रति समर्पित कर दिया। कठिन ट्रेनिंग, मानसिक संघर्ष और भावनात्मक चुनौतियों को पार करते हुए उन्होंने खुद को इस काबिल बनाया कि आज वो गर्व से भारतीय सेना का हिस्सा बन सकें।
‘मैं सिर्फ उनकी विधवा नहीं, उनकी ताकत हूं’

अपनी इस सफलता पर सोनी कहती हैं,
“मैंने अपने पति को खो दिया, लेकिन उनके सपने को नहीं। मैं सिर्फ उनकी विधवा नहीं हूं, बल्कि उनकी ताकत हूं। आज, जब मैंने यह वर्दी पहनी, तो मुझे लगा जैसे वे मेरे साथ खड़े हैं। यह मेरे लिए सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि मेरे प्यार और समर्पण की परीक्षा है।”
प्रेरणा बनीं सोनी
सोनी बिष्ट की यह यात्रा उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है, जो अपने जीवन में संघर्षों से जूझ रही हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि हार मानने के बजाय, अगर हम अपने दुख को अपनी ताकत बना लें, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रह सकता।
चेन्नई के OTA में हुई यह पासिंग आउट परेड केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह संदेश था कि सच्चा प्रेम कभी खत्म नहीं होता—वह किसी न किसी रूप में ज़िंदा रहता है, ठीक वैसे ही जैसे सोनी बिष्ट ने अपने पति के सपने को अपनी ज़िंदगी बना लिया।
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