नई दिल्ली। वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान कई महत्वपूर्ण बातें सामने आईं। कोर्ट ने साफ किया कि ‘वक्फ बाय डीड’ और ‘वक्फ बाय यूजर’ के तहत रजिस्टर्ड और गजटेड संपत्तियों की स्थिति जस की तस बनी रहेगी। यानी इन संपत्तियों पर फिलहाल सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। लेकिन, जिन संपत्तियों का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है, उन पर सरकार कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होगी।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का निर्देश?

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए एडवोकेट बरुण कुमार सिन्हा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने संशोधित वक्फ कानून पर रोक नहीं लगाई है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से आग्रह किया कि फिलहाल कोई आदेश न दिया जाए। इसके बाद अदालत ने निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड या वक्फ परिषद में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी। साथ ही, ‘वक्फ बाय डीड’ और ‘वक्फ बाय यूजर’ के तहत गजटेड और रजिस्टर्ड संपत्तियों को डी-नोटिफाई भी नहीं किया जाएगा।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसी संपत्तियाँ जो न तो रजिस्टर्ड हैं और न ही गजटेड, उन पर कार्रवाई करने से सरकार को रोका नहीं गया है। इसका अर्थ है कि सरकार ऐसी संपत्तियों के कागजात मांग सकती है और उचित कार्रवाई कर सकती है।
‘वक्फ बाय डीड’ और ‘वक्फ बाय यूजर’ क्या हैं?
- वक्फ बाय डीड का मतलब है कि जब कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को कानूनी रूप से धार्मिक या परोपकारी कार्यों के लिए समर्पित कर देता है। इसके लिए बाकायदा एक दस्तावेज यानी वक्फनामा तैयार होता है। आमतौर पर ऐसी संपत्ति रजिस्टर्ड होती है और उसका रिकॉर्ड मौजूद रहता है।
- वक्फ बाय यूजर उन संपत्तियों को कहते हैं, जो लंबे समय से समुदाय द्वारा धार्मिक या जनहित कार्यों के लिए इस्तेमाल की जाती रही हैं, भले ही उनके पास कोई आधिकारिक दस्तावेज न हो। पुरानी मस्जिदें, कब्रिस्तान और दरगाहें इसके उदाहरण हैं।
सरकार के लिए रास्ता खुला
कोर्ट के रुख से साफ है कि जिन संपत्तियों का कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं है, उनकी जांच-पड़ताल का रास्ता सरकार के लिए खुला रहेगा। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी बार-बार कोर्ट को यह समझाने की कोशिश करते नजर आए कि ऐसी संपत्तियों पर भी संरक्षण मिलना चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने इस बारे में स्पष्ट संकेत दे दिया कि सरकार को कार्रवाई से नहीं रोका जाएगा।
गौरतलब है कि वक्फ बोर्ड के पास देशभर में करीब 4.36 लाख ऐसी संपत्तियाँ दर्ज हैं, जिनके रिकॉर्ड को लेकर कई सवाल उठते रहे हैं। अब कोर्ट के निर्देश के बाद इन संपत्तियों को लेकर सरकार और वक्फ बोर्ड के बीच बड़ी कानूनी जंग की संभावना बन गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को एक हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का समय दिया है। अगली सुनवाई में यह स्पष्ट हो सकता है कि बिना रजिस्ट्रेशन वाली वक्फ संपत्तियों के दावे को कैसे परखा जाएगा और उनका भविष्य क्या होगा।
https://indiafirst.news/waqf-law-supreme-court-unregistered-properties-action
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