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रूस-यूक्रेन और मोल्डोवा विवाद की अनसुलझी गुत्थी, ट्रांसनिस्ट्रिया का क्या है भविष्य ?


Ukraine Russia Dispute: 31 दिसंबर 2024 मध्यरात्रि को यूक्रेन ने अचानक Gazprom के साथ 5 साल के लिए हुए गैस आपूर्ति समझौते को रद्द करने का फैसला किया। इस समझौते के टूटने के कारन कई यूरोपियन देशों में इसका असर साफ़ तौर पर देखा जा रहा है। आने – वाले दिनों में इसका सीधा असर ऑस्ट्रिया, स्लोवाकिया, हंगरी, चेक रिपब्लिक और मोल्डोवा जैसे देशों पर देखा जा सकता है। जानकारी के लिए बता दूँ की Gazprom (गाजप्रोम) कंपनी रसिया सरकार के अधीन आता है।
रूस फरवरी 2022 के पूर्व पूरे यूरोप में जहाँ 45 प्रतिशत ऊर्जा की आपूर्ति किया करता, वहीं आज यह आंकड़ा सिमट करके 7- 8 प्रतिशत से नीचे आ गया।

यूक्रेन रूस विवाद।

Gazprom का मामले से जुडी प्रतिक्रिया –

गाजप्रोम कंपनी के अनुसार इससे उन्हें 5 – 6 बिलियन डॉलर की चपत लगेगा। इसका सीधा असर सरकार और कंपनी के राजस्व पर पड़ेगा। Gazprom Company के अनुसार हम यह सुनिश्चित करने में लगे हुए है की गैस और तेल की आपूर्ति सुचारु रूप से इन देशों में पहुँचते रहे इसके लिए सभी कानूनी पहलुओं पर विचार विमर्श और अध्ययन किया जा रहा है। गैस की आपूर्ति में अगर किसी तरह का बाधा है, तो उसे दूर किया जा सके। हालाँकि अभी भी Turkstream पाइपलाइन के द्वारा यूरोप के कई देशों जैसे हंगरी और सर्बिया में गैस की आपूर्ति निरंतर रूप से जारी है। गैस का करार तोड़ने का मुख्य कारन – रूस के आय के स्रोत पर हमला करना है, ताकि युद्ध में बढ़त बनाया जा सके ! इसका असर ऑस्ट्रिया, स्लोवाकिया, हंगरी, चेक रिपब्लिक और मोल्डोवा पर पड़ेगा तय है। इसका सबसे ज्यादा असर मोल्डोवा में स्तिथ ट्रांसनिस्ट्रिया के क्षेत्रों पर दिखना शुरू भी हो चूका है।

वहां की स्थानीय सरकार ने फॉरेस्ट विभाग को आदेश दिया है की लकड़ियों की आपूर्ति बिना बाधा के मुफ्त में किया जाए और यह देना शुरू भी कर दिया है। लोग अपने घरों पर लकड़ियों का भंडारण रखना प्रारंभ कर दिया है।

रूस-यूक्रेन और मोल्डोवा विवाद की अनसुलझी गुत्थी, ट्रांसनिस्ट्रिया का क्या है भविष्य ?
Photo Credit- Wikipedia , Dorin Recean
Prime Minister of Moldova

मोल्डोवा और रसिया के विवाद का कारन Transnistria –

संक्षेप में Transnistria के बारे में बताते चलें की सोवियत संघ के विघटन के पश्चात इस क्षेत्र पर रुसी समर्थकों द्वारा वर्ष 1991 से ही कब्ज़ा है। अभी तक रसिया सरकार ने भी इस इलाके को मान्यता नहीं दिया न ही यूनाइटेड नेशन के देशों ने। रसियन डिफेन्स विभाग के अनुसार अभी भी वहां पर रसियन आर्मी की उपस्थिति है जिसे शान्ति सेना का नाम दिया गया है। इस क्षेत्र को मोल्डोवा का हिस्सा माना जाता है, वहां के लोग इसे स्थानीय भाषा में Pridnestrovie नाम से बुलाते है। वहीं दूसरी ओर स्लोवाकिया के राष्ट्रपति ने उक्रेन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने बाकायदा स्टेटमेंट जारी कर उक्रेन के राष्ट्रपति पर निशाना साधते हुए कहा की इसका कारन ज़ेलेन्स्की है, इसी के कारन पूरा यूरोप में ऊर्जा का संकट आ पड़ा है। उन्होंने आगे चेताते हुए कहा की अगर किसी तरह का संकट हमारे देश में हुआ तो इसका पहला असर यहां पर रह रहे करीब 1 लाख 44 हज़ार यूक्रेन शरणार्थियों पर पड़ेगा। इन शरणार्थियों को मुफ्त गैस देना बंद कर देंगे। इसकी जिम्मेदारी सीधे तौर पर ज़ेलेन्स्की पर होगा।

हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबन का गत वर्ष रूस के राष्ट्रपति से मिलना जानें किस ओर इशारा –

पिछले वर्ष जुलाई 2024 को हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबन का रुसी दौरा भी यूरोपियन संघ में हलचल मचा दिया यूँ कहे कि विवाद का कारन बन गया। मास्को दौरा करने का मकसद यूरोपीय देशों को सन्देश देने के तौर पर देखा गया की अगर हमारे यहां किसी भी तरह का ऊर्जा या फिर तेल खाद्दान जैसी समस्याएं उत्पन हुआ तो कूटनीतिक दुवार खुला रखना जरूरी है, इसके लिए मास्को सरकार के साथ संतुलन बनाने के प्रयास के तौर पर इस दौरे को देखा गया।

ऊर्जा संकट के बीच यूरोपियन नेताओं का बयान

इन सभी विवादों के बीच यूरोपीय संघ के नेताओं का कहना की हमारे पास ऊर्जा का भण्डार पर्याप्त मात्रा में पहले से ही संगृहीत कर रखा है भविष्‍य में किसी भी स्थिति का सामना किया जा सके। इसी बीच खबर लिखे जाने तक मोल्डोवा के प्रधानमंत्री डोरीन रेसन ने Transnistria के इलाको में ऊर्जा पहुँचाने का प्रस्ताव दिया। अभी तक वहां के शासन ने इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति नहीं दी शायद उन्हें लग रहा हो की रूस वैकल्पिक रास्ता ढूंढ करके उन तक ऊर्जा से जुडी जरूरतें पूरी कर दे। अगर इसका समाधान आने वाले दिनों में नहीं निकला गया तो फिर बढ़ती कड़ाके की ठंढ से न जाने कितने लोग इससे प्रभावित होंगे। इसका असर ख़ास करके बुजुर्गों, बच्चों, और गर्भवती महिलाओं पर पड़ेगा।

https://indiafirst.news/ukraine-ends-energy-deal-energy-crisis-deepens-in-europe

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