पनामा सिटी। अमेरिका से निर्वासन का सामना कर रहे 300 से अधिक प्रवासी इस समय पनामा के एक होटल में फंसे हुए हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की है, जबकि नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन और अन्य एशियाई देशों के नागरिक भी शामिल हैं। इन प्रवासियों को होटल से बाहर जाने की अनुमति नहीं है और वे अनिश्चित भविष्य के बीच जीने को मजबूर हैं।
खिड़कियों से मदद की लगा रहे हैं गुहार
होटल में बंद प्रवासियों की स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि वे खिड़कियों पर संदेश लिखकर दुनिया से मदद मांग रहे हैं। सामने आई तस्वीरों में लोग हाथों में तख्तियां लिए दिख रहे हैं, जिन पर लिखा है – “हमें बचाओ”, “हम अपने देश में सुरक्षित नहीं हैं”।
क्यों पनामा में फंसे हैं प्रवासी?
सूत्रों के मुताबिक, इन प्रवासियों को अमेरिका से सीधे उनके देशों में निर्वासित करना मुश्किल था, इसलिए पनामा को एक ट्रांजिट पॉइंट के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। पनामा सरकार और अमेरिका के बीच हुए एक समझौते के तहत इन प्रवासियों को यहां अस्थायी रूप से रोका गया है, जब तक उनकी वापसी की व्यवस्था नहीं हो जाती।
पनामा सरकार का दावा – मिल रही बुनियादी सुविधाएं
पनामा के सुरक्षा मंत्री फ्रैंक एब्रेगो ने बताया कि सभी प्रवासियों को चिकित्सा सुविधाएं और भोजन दिया जा रहा है। अमेरिका इस पूरे ऑपरेशन का खर्च उठा रहा है। हालांकि, इन प्रवासियों की स्थिति देखकर यह दावा सवालों के घेरे में आ गया है।
171 प्रवासी लौटने को तैयार, बाकी का भविष्य अनिश्चित
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) और अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) प्रवासियों की सहायता में जुटे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक 300 में से 171 प्रवासी अपने-अपने देशों में लौटने के लिए तैयार हो गए हैं। जबकि बाकी 128 प्रवासियों के लिए कोई अन्य समाधान तलाशा जा रहा है, क्योंकि वे अपने देश वापस नहीं जाना चाहते। उन्हें पनामा के विशेष केंद्र में रखा जाएगा।
राजनीतिक दबाव में पनामा सरकार
पनामा के राष्ट्रपति जोसे राउल मुलिनो, जो पहले ही अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पनामा नहर पर नियंत्रण की धमकियों से राजनीतिक दबाव में हैं, ने पहली निर्वासन उड़ान को रवाना करने की घोषणा की थी। अब सवाल यह है कि बाकी बचे प्रवासियों का क्या होगा?
क्या मिलेगा इन प्रवासियों को न्याय?
अब यह देखना होगा कि अंतरराष्ट्रीय संगठन इन प्रवासियों के लिए क्या समाधान निकालते हैं। क्या उन्हें सुरक्षित रूप से उनके देश भेजा जाएगा, या किसी तीसरे देश में बसाने की योजना बनेगी? होटल में फंसे लोगों की अनिश्चितता और दयनीय स्थिति ने इस मुद्दे को वैश्विक बहस का विषय बना दिया है।
यह रिपोर्ट प्रवासियों की स्थिति पर रोशनी डालती है, लेकिन असली सवाल यह है कि क्या उन्हें जल्द न्याय मिलेगा या वे इसी तरह अनिश्चितता में जीते रहेंगे?
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