कन्नौज: उत्तर प्रदेश की राजनीति में बयानबाजी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बार फिर भाजपा पर तीखा हमला बोला है। कन्नौज में एक जनसभा को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा, “भाजपा को दुर्गंध पसंद है, इसलिए वो गौशालाएं बनवा रही है। जबकि समाजवादी पार्टी को सुगंध पसंद है, इसीलिए हमने इत्र पार्क बनाए।” उनके इस बयान से यूपी की सियासत गर्मा गई है और भाजपा ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
भाजपा का पलटवार: ‘गौशाला सनातन आस्था का केंद्र’
अखिलेश यादव के बयान पर भाजपा नेताओं ने कड़ा जवाब दिया। राज्यसभा सांसद और पूर्व उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा, “सपा के राज में इत्र पार्क बनाने के साथ-साथ इत्र घोटाला भी हुआ। गौशाला में दुर्गंध और सुगंध की तुलना करना गलत है। गौशालाएं सनातन आस्था का केंद्र हैं और मां समान गौमाता पर इस तरह की टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए।”
भाजपा नेताओं ने सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि अखिलेश यादव को सनातन संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करना चाहिए। पार्टी प्रवक्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि सपा सरकार के समय में इत्र कारोबार की आड़ में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ था, जबकि भाजपा सरकार पारदर्शिता के साथ विकास कार्य कर रही है।
‘खुशहाली और भाईचारे की सुगंध’ बनाम ‘भाजपा की दुर्गंध’
अखिलेश यादव ने अपने बयान में आगे कहा, “हम समाजवादी विकास और खुशहाली चाहते हैं। कन्नौज के लोगों को सुगंध पसंद है, वे दुर्गंध को हटाएं। अभी थोड़ी हटाई है, अगली बार और हटा देंगे। जिन्हें दुर्गंध पसंद है, वे गौशाला बना रहे हैं। हम सुगंध पसंद करने वाले लोग हैं, इसलिए इत्र पार्क बना रहे हैं।”
उन्होंने योगी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सांडों की समस्या पर भी सरकार केवल खानापूर्ति कर रही है। अखिलेश यादव ने कहा, “ये सरकार सांड पकड़ रही है कि नहीं पकड़ रही? पकड़ रही है, लेकिन उसका भी पैसा खा जा रही है।”
भाजपा बनाम सपा: चुनावी रणनीति के संकेत?
विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश यादव का यह बयान 2024 लोकसभा चुनाव और आगामी यूपी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए दिया गया है। समाजवादी पार्टी खुद को विकास और भाईचारे की राजनीति से जोड़ने की कोशिश कर रही है, जबकि भाजपा हिंदुत्व और सनातन परंपराओं की रक्षा की बात कर रही है।
सियासी हलकों में इस बयान की गूंज तेज हो गई है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और तूल पकड़ सकता है। जहां भाजपा इसे सनातन आस्था पर हमला बता रही है, वहीं सपा इसे विकास और खुशहाली की राजनीति का प्रतीक बता रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि जनता इस बयानबाजी को किस नजरिए से देखती है और आगामी चुनावों में किसके पक्ष में जनादेश देती है।
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