हजारीबाग: झारखंड के हजारीबाग जिले में स्थित बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार मामला जुड़ा है पूर्व विधायक अंबा प्रसाद के आवास ‘समाधान’ से। यह आवास उस जमीन पर बना है, जिसे एनटीपीसी (नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन) ने अधिग्रहित किया था। यह मामला राजनीतिक गलियारों से लेकर प्रशासनिक हलकों तक गर्माता जा रहा है।
कैसे उठा विवाद?
दरअसल, अंबा प्रसाद की मां एवं पूर्व विधायक निर्मला देवी ने खाता नंबर 220, प्लॉट नंबर 349 और 358, कुल क्षेत्रफल 1.08 एकड़ जमीन 2007 में रतन लाल खंडेलवाल और शकुंतला देवी से खरीदी थी। यह सौदा सरकारी दर 23 लाख रुपये के बजाय 14.67 लाख रुपये में हुआ था। हालांकि, उस समय कोल बियरिंग एक्ट के तहत इस जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी थी। 2007 में ही सरकार ने इस जमीन को अधिकृत रूप से अपने नियंत्रण में ले लिया था।
एनटीपीसी ने किया अधिग्रहण, फिर भी बना आलीशान भवन?
सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक, कोल बियरिंग एक्ट के तहत अधिग्रहण की अधिसूचना 2007 में जारी हुई थी। इसके बावजूद इस जमीन पर अंबा प्रसाद ने अपना भव्य आवास बना लिया, जिसे ‘समाधान’ नाम दिया गया। सवाल उठ रहा है कि जब जमीन का अधिग्रहण हो चुका था, तो वहां निजी आवास कैसे खड़ा हो गया?
पूर्व मंत्री का बचाव, प्रशासन की जांच जारी
पूर्व मंत्री योगेंद्र साव ने इस विवाद पर सफाई देते हुए दावा किया कि एनटीपीसी ने इस जमीन के लिए एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) दिया था, इसलिए वहां मकान बनाने में कोई बाधा नहीं थी। उन्होंने आरोप लगाया कि एनटीपीसी मनमाने ढंग से जमीन अधिग्रहण कर रहा है और विस्थापितों के अधिकारों की अनदेखी कर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि जल्द ही एनटीपीसी के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा।
इस पूरे मामले पर हजारीबाग की उपायुक्त नैंसी सहाय ने कहा कि प्रशासन को विभिन्न स्रोतों से मामले की जानकारी मिली है और जांच जारी है। भविष्य में जो भी आवश्यक कदम होंगे, प्रशासन उन्हें उठाएगा।
विवाद की जड़: अधिग्रहण और मुआवजा
इस जमीन का मुआवजा लेने से इनकार किए जाने के कारण 2017 में इसकी रकम ट्रिब्यूनल में जमा कर दी गई थी। यानी, कानूनी रूप से यह जमीन एनटीपीसी के स्वामित्व में थी। ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब अधिग्रहण पूरा हो चुका था, तो क्या अंबा प्रसाद का इस जमीन पर दावा करना वैध है? और अगर एनटीपीसी ने एनओसी दी थी, तो उसकी वैधता क्या है?
क्या होगा अगला कदम?
इस विवाद में प्रशासन की भूमिका अब महत्वपूर्ण हो गई है। क्या हजारीबाग प्रशासन अंबा प्रसाद के भवन पर कोई कार्रवाई करेगा, या फिर यह मामला राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में ही उलझा रह जाएगा? क्या एनटीपीसी इस मामले में कोई स्पष्टीकरण देगा? और सबसे बड़ा सवाल- क्या झारखंड सरकार इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करेगी?
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