रांची। आपदा को अवसर में बदलना एक राजनीतिक जुमला मात्र नहीं रह गया, बल्कि झारखंड में इसे हकीकत में घोटालेबाजों ने साबित कर दिया है। केंद्र की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना को लूट का माध्यम बना दिया गया। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की ताज़ा कार्रवाई में इस घोटाले की परतें खुलती जा रही हैं और यह सिर्फ एक वित्तीय अपराध नहीं, बल्कि एक अमानवीय कृत्य भी बनकर सामने आया है।
40 करोड़ से ज़्यादा के फर्जी बिल
ईडी की छापेमारी में अब तक 40 करोड़ रुपये से अधिक की फर्जी बिलिंग के प्रमाण मिले हैं। इनका भुगतान फिलहाल लंबित है, लेकिन जिस तरह से यह काम किया गया, वह यह बताने के लिए काफी है कि राज्य में किस स्तर पर व्यवस्थित भ्रष्टाचार फैला हुआ है। जिन लोगों ने इलाज नहीं कराया, जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं, यहां तक कि जिनकी मृत्यु हो चुकी थी – उनके नाम पर भी इलाज दिखाकर बिल वसूले गए।
220 से अधिक अस्पतालों की भूमिका संदिग्ध
जांच के घेरे में राज्य के 220 से अधिक निजी और सरकारी अस्पताल हैं। इन संस्थानों पर संकट गहरा गया है क्योंकि ईडी की जांच में उनकी भागीदारी संदिग्ध पाई गई है। यह भी आशंका जताई जा रही है कि अगर अस्पतालों की अनुमति रद्द हुई तो स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा सकती हैं।
घोटाले की चिंगारी राजनीतिक गलियारों तक पहुंच चुकी है। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के निजी सचिव ओमप्रकाश सिंह को इस घोटाले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। उनके समेत 21 लोगों के ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की। उनके आवासों से नकदी और डिजिटल दस्तावेजों के रूप में कई चौंकाने वाले सबूत बरामद हुए हैं।
दिल्ली और बंगाल तक फैला नेटवर्क
यह घोटाला सिर्फ झारखंड तक सीमित नहीं है। दिल्ली और पश्चिम बंगाल में भी ईडी ने छापेमारी की है। इससे संकेत मिलता है कि घोटाला राज्य की सीमाओं को लांघता हुआ एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा है।
कोरोना आपदा बनी घोटाले की ढाल
सबसे शर्मनाक बात यह है कि घोटालेबाजों ने कोरोना महामारी जैसी मानवीय त्रासदी को भी नहीं बख्शा। जिस समय लोग अपनों को बचाने के लिए अस्पतालों के चक्कर काट रहे थे, उस समय कुछ सफेदपोश और स्वास्थ्य संस्थान आपसी मिलीभगत से सरकारी पैसे की बंदरबांट में जुटे थे।
सीएजी रिपोर्ट ने खोली पोल
इस घोटाले की शुरुआत भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट से हुई, जिसमें साफ तौर पर अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया था। इसके बाद ही ईडी ने जांच की शुरुआत की।
कई और चेहरे होंगे बेनकाब
सूत्रों के मुताबिक, आने वाले दिनों में जांच का दायरा और बढ़ेगा। कई और नाम सामने आ सकते हैं — जिनमें राजनेता, अस्पताल संचालक, और स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारी शामिल हो सकते हैं।
आयुष्मान भारत योजना को देशभर में गरीबों के लिए जीवन रक्षक योजना के रूप में देखा जाता है, लेकिन झारखंड में इसे भ्रष्टाचारियों ने पैसे कमाने का जरिया बना दिया। यह घोटाला सिर्फ एक वित्तीय अपराध नहीं, बल्कि जनता के विश्वास के साथ धोखा है। सवाल यह है कि क्या दोषियों को जल्द ही कानून के कठघरे में लाया जाएगा, या एक और घोटाला राजनीतिक गलियारों में दब जाएगा?
https://cag.gov.in/hi/audit-report/details/119075
https://indiafirst.news/ayushman-scheme-fraud-jharkhand-multicrore-scam
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