रांची। झारखंड के रामगढ़ में बैंक ऑफ इंडिया की शाखा को 6.23 करोड़ रुपये का चूना लगाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। गिरोह ने स्थानीय युवाओं के फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर ऑयल टैंकरों के लिए लोन लिया और बैंक के क्रेडिट मैनेजर की मिलीभगत से यह घोटाला अंजाम दिया गया। इस मामले में तत्कालीन क्रेडिट मैनेजर बोंगरा कुमार सिंह को सीबीआई ने 30 जून 2022 को गिरफ्तार किया था, और वे तब से जेल में बंद हैं।
कैसे हुआ करोड़ों का घोटाला?
सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को 2016 में इस धोखाधड़ी की जानकारी मिली थी। जांच में पाया गया कि मुकेश शाह, संजय शाह, रविकांत प्रसाद और अन्य अज्ञात आरोपियों ने बैंक को धोखा देने के लिए साजिश रची। दिसंबर 2016 से मई 2017 के बीच, इन आरोपियों ने स्थानीय युवाओं के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर वाहन ऋण मंजूर कराया।
लोन की पूरी राशि- 6.23 करोड़ रुपये- फर्जी फर्म मेसर्स सिद्धि विनायक एंटरप्राइजेज के खाते में ट्रांसफर कर दी गई। जबकि जिन युवाओं के नाम पर यह लोन लिया गया था, उन्हें इसकी जानकारी तक नहीं थी।
क्रेडिट मैनेजर ने निभाई अहम भूमिका
बैंक के तत्कालीन क्रेडिट मैनेजर बोंगरा कुमार सिंह ने लोन स्वीकृत होने के बाद निरीक्षण रिपोर्ट तैयार की थी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि टैंकरों का भौतिक निरीक्षण किया गया और वे चालू हालत में पाए गए। साथ ही, उधारकर्ताओं को ईएमआई भुगतान की सूचना भी दे दी गई।
सीबीआई की जांच में यह रिपोर्ट झूठी पाई गई। रिकॉर्ड में ऐसे किसी टैंकर की कोई जानकारी नहीं थी, न ही बीपीसीएल या रिलायंस के लिए किसी लॉजिस्टिक कंपनी द्वारा टैंकरों के संचालन के प्रमाण मिले।
सीबीआई की जांच और गवाहों के बयान
2018 में इस घोटाले पर एफआईआर दर्ज की गई थी। जांच के दौरान सीबीआई ने पाया कि गिरोह ने संगठित तरीके से फर्जी दस्तावेजों के जरिए बैंक को चूना लगाया। क्रेडिट मैनेजर की भूमिका इस मामले में सबसे अहम रही, क्योंकि उन्होंने मंजूरी के बाद भी जांच रिपोर्ट में झूठी जानकारी दी।
सीबीआई ने इस मामले में कुल 69 लोगों को गवाह बनाया है, जिनमें से कई वे युवा हैं जिनके नाम पर लोन लिया गया था, लेकिन उन्हें इसकी भनक तक नहीं थी।
क्या बोले बैंक अधिकारी?
क्रेडिट मैनेजर बोंगरा कुमार सिंह ने खुद को निर्दोष बताते हुए दावा किया कि उनके पास किसी भी लाभार्थी को लोन स्वीकृत करने का अधिकार नहीं था। उन्होंने कहा कि ऋण मंजूरी मुख्य प्रबंधक द्वारा दी जाती थी और वे सिर्फ फील्ड ऑफिसर की रिपोर्ट पर काम कर रहे थे।
बैंकिंग व्यवस्था पर गंभीर सवाल?
सीबीआई की जांच अब अंतिम चरण में है और जल्द ही इस मामले में कोर्ट में सुनवाई शुरू हो सकती है। गिरोह के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी भी जल्द हो सकती है। इस घोटाले ने बैंकिंग व्यवस्था की सुरक्षा और निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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