नई दिल्ली। भारत में अब एक देश एक चुनाव शायद हो सकता है ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्रीय कैबिनेट ने वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक को आज मंजूरी दे दी है। केंद्र सरकार इस बिल को अगले सप्ताह संसद में पेश कर सकती है, अगर यह बिल संसद के दोनों सदनों में पास हो जाती है तो देश में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ करवाए जा सकेंगे।
एक देश एक चुनाव को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समिति की रेपोर्ट का क्या कहना है–

पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के बाद यह फैसला आया है। इससे लोकसभा, विधानसभा, नगर निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ होंगे। यह सब 100 दिनों के अंदर होगा। सरकार का मानना है कि इससे देश की जीडीपी में 1-1.5 प्रतिशत की वृद्धि होगी। कई नेताओं ने इस फैसले का समर्थन किया है। उनका कहना है कि बार-बार चुनाव से समय और पैसा दोनों बर्बाद होते हैं। बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा था कि केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर आम सहमति बनानी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह मामला किसी एक दल का नहीं, बल्कि पूरे देश के हित में है। कोविंद समिति ने यह भी कहा कि 1951 से 1967 के बीच देश में एक साथ चुनाव हुए हैं ।
इसपर विधि आयोग का क्या कहना है–

आयोग का कहना था कि 2014 में लोकसभा चुनावों का खर्च और उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों का खर्च लगभग समान रहा है। वहीं, साथ-साथ चुनाव होने पर यह खर्च 50:50 के अनुपात में बंट जाएगा। 1999 में विधि आयोग की 170वीं रिपोर्ट में पांच वर्षों में एक लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए चुनाव का सुझाव है।
मोदी सरकार के लिए वन नेशन वन इलेक्शन को देश में लागू करना इतना सरल नहीं होगा

गणित यह है कि सरकार को संविधान में संशोधन करने के लिए कम से कम 6 विधेयक लाने होंगे इसके लिए मौजूदा सरकार को संसद में दो तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ने वाली है।
राज्यसभा का आंकड़ा क्या कहता है-
उच्च सदन यानी राज्यसभा में एनडीए के पास 112 सांसद हैं और विपक्ष के पास 85 सांसद है जबकि दो तिहाई बहुमत के लिए सरकार को 164 वोटो की आवश्यकता होगी।
लोकसभा का आंकड़ा क्या कहता है-
निम्न सदन यानी लोकसभा में एनडीए के पास 292 सांसद हैं जबकि दो तिहाई का आंकड़ा 364 है।

https://indiafirst.news/big-decision-of-narendra-modi-cabinet
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