रांची/बोकारो। बोकारो से भाजपा विधायक श्वेता सिंह को लेकर पैन कार्ड, वोटर आईडी और आवास आवंटन से जुड़ा विवाद गरमाता जा रहा है। पूर्व विधायक बिरंची नारायण ने राज्यपाल संतोष गंगवार को ज्ञापन सौंपकर गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाया, जबकि विधायक के पति संग्राम सिंह ने इसे “राजनीतिक बदले की साज़िश” बताया और कानूनी लड़ाई का एलान किया।
आरोप-प्रत्यारोप का पूरा ब्यौरा
पक्ष | आरोप / बचाव | मुख्य दलीलें |
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बिरंची नारायण व भाजपा प्रतिनिधिमंडल | • विधानसभा चुनाव 2024 के नामांकन में नो‑ड्यूज़ सर्टिफिकेट नहीं लगाया।• BSL‑HSCL के आवंटित सरकारी क्वार्टर का किराया बकाया छिपाया।• विधायक के पास चार वोटर आईडी और दो पैन कार्ड होने का दावा। | “एक व्यक्ति चार जगह से मतदाता कैसे? दो पैन क्यों – क्या आधार डेटा में भी छेड़छाड़ हुई?” |
श्वेता सिंह (पक्ष – पति संग्राम सिंह) | • “2015 से एक ही पैन पर रिटर्न फ़ाइल हो रहा है; 1 जुलाई 2023 को आधार‑लिंक न होने वाले सभी अतिरिक्त पैन स्वतः रद्द हुए।”• “वोटर लिस्ट सालाना पुनरीक्षण में अतिरिक्त कार्ड हट जाते हैं; हमारी ज़िम्मेदारी नहीं।” | “हार का दर्द भुला नहीं पा रहे विपक्षी; व्यक्तिगत लड़ाई में खींच रहे।” |
बीजेपी की कार्रवाई की मांग

राजभवन में सौंपे गए ज्ञापन में पार्टी ने माँग की है कि:
- पैन व आधार डेटा का फॉरेंसिक ऑडिट कराया जाए।
- बहु‑वोटर आईडी रखने के आरोप की निर्वाचन आयोग से जाँच हो।
- सरकारी आवास किराया बकाया की पुष्टि कर, क़ानूनी कदम उठाए जाएँ।
पूर्व विधायक का तर्क है कि शपथपत्र में तथ्य छिपाना भारतीय दंड संहिता की धारा 191 (झूठी साक्ष्य) तथा जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के प्रावधानों का उल्लंघन है।
बचाव पक्ष की रणनीति
संग्राम सिंह ने कहा कि वे “पूरा दस्तावेज़ी सबूत” उपलब्ध कराएँगे और मानहानि वाद दायर करेंगे। परिवार का दावा है कि:
- “बीजेपी का झंडा, जिसके तले आरोप लग रहे, उसी का डिज़ाइन स्व. समरेश सिंह (श्वेता के पिता) की देन है।”
- “अगर मामला व्यक्तिगत हुआ, तो हम भी क़ानूनी मोर्चे पर पूरी ताक़त से उतरेंगे।”
अगला मोड़ क्या?
- राज्यपाल राज्य सरकार को रिपोर्ट भेज सकते हैं; प्रारंभिक निष्कर्ष के बाद विधानसभा स्पीकर भी नोटिस जारी कर सकते हैं।
- आयकर विभाग ‑ दो पैन कार्ड के आरोप पुख्ता पाए गए तो, अधिकतम ₹10,000 का जुर्माना व संभावित अभियोजन।
- निर्वाचन आयोग ‑ बहु‑मतदाता होने पर मतदान अधिकार निलंबन से लेकर आपराधिक मुकदमा तक संभव।
राजनीतिक असर
बोकारो सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती रही है, पर अंदरूनी खींचतान ने पार्टी को असहज कर दिया है। विपक्षी दलों ने मामले को “धोखा‑धड़ी का प्रतीक” बताते हुए सड़क से सदन तक आवाज उठाने का ऐलान किया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि जाँच लंबी चली तो 2026 की निकट आती नगर निकाय एवं पंचायत चुनावों में इसका सीधा असर दिख सकता है।
नज़र में रखने वाली तारीखें
- 22 मई 2025: झारखंड विधानसभा का बजट सत्र शुरू – विपक्षी हंगामे की संभावना।
- 31 मई 2025: निर्वाचन आयोग का राज्य‑स्तरीय पुनरीक्षण कार्य पूरा होना तय – बहुवोटर दावे की पुष्टि/खंडन संभव।
https://indiafirst.news/bokaro-mla-shweta-singh-in-trouble-over-pan-card-row

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