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चाईबासा: बाल सुधार गृह से भागे 21 किशोर कैदी में से 7 लौटे, 14 अब भी फरार!


चाईबासा। पश्चिमी सिंहभूम जिला मुख्यालय स्थित बाल सम्प्रेषण गृह में सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलने वाली घटना के तीसरे दिन तक सात बाल बंदी लौट चुके हैं, जबकि 14 अब भी फरार हैं। मंगलवार शाम 21 बाल बंदी गेट तोड़कर भाग निकले थे। फरार बंदियों में आठ दुष्कर्म के आरोपित और कुछ रेलवे एक्ट के तहत मुकदमे झेल रहे हैं।

जांच में जुटा प्रशासन, उपायुक्त और एसपी ने लिया जायजा

घटना की गंभीरता को देखते हुए बुधवार को रांची से महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग की निदेशक समीरा एस और जिला समाज कल्याण कार्यालय के अपर सचिव अभयनंदन अंबष्ठ चाईबासा पहुंचे। अधिकारियों ने वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बैठक कर सम्प्रेषण गृह की सुरक्षा और व्यवस्था की जांच की। इस दौरान उपायुक्त कुलदीप चौधरी, एसडीएम संदीप अनुराग टोप्पो, एसडीपीओ बहामन टुटी समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने बताया कि घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन हरकत में आया। अब तक सात बच्चों को वापस लाया जा चुका है, शेष की तलाश जारी है। संभावित ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है और सभी बिंदुओं पर बारीकी से जांच चल रही है।

बोन डेंसिटी टेस्ट से होगी सही उम्र की जांच

सम्प्रेषण गृह की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन ने यहां रह रहे सभी बाल बंदियों का बोन डेंसिटी टेस्ट कराने का निर्णय लिया है। अधिकारियों के अनुसार, कई बाल बंदी काफी ताकतवर और बड़े दिखते हैं, जिससे उनकी सही उम्र का अनुमान लगाना मुश्किल हो रहा है। प्रशासन का कहना है कि जन्म प्रमाण पत्र और शारीरिक संरचना के आधार पर उम्र का सटीक निर्धारण संभव नहीं, इसलिए वैज्ञानिक आधार पर जांच जरूरी है।

सुरक्षा के बीच भी कैदियों की बगावत, पुलिसकर्मी असहाय

सम्प्रेषण गृह के चारों ओर ऊंची दीवारें और कंटीले तार हैं। बाहरी सुरक्षा में दो-दो घंटे की शिफ्ट में पांच पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं, जबकि अंदर होमगार्ड के जवान सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालते हैं। इसके बावजूद मंगलवार को सभी 85 बाल बंदी गेट तोड़कर बाहर आ गए, जिनमें से 21 मौके का फायदा उठाकर भाग निकले।

सूत्रों के अनुसार, सुधार गृह में लंबे समय से रिहाई प्रक्रिया ठप पड़ी है, जिससे बाल बंदियों में नाराजगी बढ़ रही है। कई बंदी दो से चार साल से यहां हैं और वे हताशा व कुंठा में जी रहे हैं। स्थिति यह है कि मारपीट और उपद्रव की घटनाएं आम हो गई हैं। एक बाल बंदी मानसिक रूप से बीमार हो चुका है, जबकि एक अन्य का इलाज एमजीएम अस्पताल में चल रहा है।

प्रशासन की सख्ती, जल्द हो सकता है बड़ा फैसला

इस घटना के बाद प्रशासन ने सुधार गृह की सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद करने के निर्देश दिए हैं। जिला प्रशासन जल्द ही इस मामले में सख्त कदम उठा सकता है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। वहीं, फरार बंदियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस विशेष टीम बनाकर सर्च ऑपरेशन चला रही है।

https://indiafirst.news/chaibasa-juvenile-inmates-escape-latest-update

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