रामगढ़: झारखंड के रामगढ़ जिले में कोयला खदानों के बीच एक और बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। मांडू प्रखंड के कोतरे-बसंतपुर-पचमो क्षेत्र में कोल इंडिया की पहली कोकिंग कोल एमडीओ प्रोजेक्ट के तहत 101 मिलियन टन कोकिंग कोल का विशाल भंडार मिला है। इस खोज से न केवल स्थानीय लोगों में खुशी की लहर है, बल्कि भारत की ऊर्जा और औद्योगिक जरूरतों को भी इससे बड़ी राहत मिलेगी।
रोजगार और मुआवजा: स्थानीय लोगों के लिए सुनहरा अवसर
इस परियोजना के शुरू होने से 1500 से अधिक विस्थापित ग्रामीणों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलने की संभावना है। सरकार ने विस्थापित रैयतों के लिए विशेष योजना बनाई है, जिसमें प्रति 2 एकड़ जमीन पर एक व्यक्ति को नौकरी और प्रति एकड़ 9 लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा। इसके अलावा, हजारों ग्रामीणों को रोड सेल, डिस्पैच और ट्रांसपोर्ट जैसे कार्यों में रोजगार मिलने की उम्मीद है।
विदेशी आयात पर निर्भरता होगी खत्म
फिलहाल भारत कोकिंग कोल का बड़ा हिस्सा विदेशों से आयात करता है। लेकिन इस परियोजना के चालू होने के बाद देश की जरूरतें घरेलू उत्पादन से पूरी की जा सकेंगी। सीसीएल चरही के महाप्रबंधक केके सिन्हा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट से अगले 25 वर्षों तक कोयले का उत्पादन होगा, जिससे स्टील इंडस्ट्री को उच्च गुणवत्ता वाला कोकिंग कोल उपलब्ध कराया जा सकेगा।
स्थानीय लोगों की मांग: पहले पुनर्वास, फिर परियोजना का विस्तार
हालांकि, स्थानीय ग्रामीणों ने रोजगार और पुनर्वास को लेकर अपनी चिंताओं को भी जाहिर किया है। रैयतों का कहना है कि वे परियोजना का विरोध नहीं कर रहे, लेकिन सरकार को पहले विस्थापितों को मुआवजा और स्थायी पुनर्वास की गारंटी देनी चाहिए।
गौरतलब है कि इस परियोजना का शिलान्यास 20 मई 2022 को तत्कालीन केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने किया था। अब, जब कोयला उत्पादन का कार्य जल्द ही शुरू होने वाला है, यह देखना दिलचस्प होगा कि झारखंड का यह प्राकृतिक संसाधन राज्य और देश की अर्थव्यवस्था को कैसे मजबूत करेगा।
ये खबर पढ़ें:
https://indiafirst.news/earthquake-tremors-felt-in-ranchi-and-eastern-india
Leave a Reply