Earthquake hits Tibet, Nepal, and India: तिब्बत के पर्वतीय क्षेत्र में आए विनाशकारी भूकंप ने पूरे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया है। 7 जनवरी 2025 की रात आए इस 7.8 तीव्रता वली भूकंप ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली, जबकि हजारों लोग बेघर हो गए हैं। भूकंप का केंद्र लामो इलाके के पास था, जो कि दुर्गम क्षेत्र होने के कारण राहत और बचाव कार्य में बाधा बन रहा है।
मौत का मंजर और तबाही की तस्वीरों ने दिल को दहला दिया स्थानीय प्रशासन के अनुसार अब तक 126 लोगों से अधिक लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि घायलों की संख्या 800 से ज्यादा है। मलबे में दबे लोगों को निकालने का काम अभी भी जारी है। भूकंप के झटके इतने तेज थे कि कई घर, मंदिर, और पुल पूरी तरह से ध्वस्त हो गए। इलाके के सड़कों और संचार सेवाओं को भी भारी नुकसान पहुंचा है।
बचाव और राहत का कार्य अभी जारी

बता के ऊंचाई वाले इलाकों में ठंड और दुर्गम रास्तों के चलते राहत कार्य प्रभावित हो रहे हैं। सेना और स्थानीय स्वयं सेवकों की टीमें घटनास्थल पर पहुंचकर घायलों को चिकित्सा सहायता प्रदान कर रही हैं। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भी मदद की पेशकश की है। चीन सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में विशेष राहत टीम भेजने का ऐलान किया है।
प्राकृतिक आपदा से सबक लेने की जरूरत
भूकंप विज्ञान के विशेषज्ञों का मानना है कि- भूकंप हिमालयन फॉल्ट लाइन की गतिविधियों का परिणाम है। तिब्बत जैसे क्षेत्रों में भूकंप की संभावना हमेशा बनी रहती है। भूकंप के बाद अब सरकार को क्षेत्र में आपदा प्रबंधन की तैयारियों को मजबूत करने की आवश्यकता है।

भारत और नेपाल ने की मदद की पेशकश
अंतरराष्ट्रीय संगठनों और पड़ोसी देशों ने तिब्बत के लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। राहत सामग्री और चिकित्सकीय सहायता के लिए भारत, नेपाल, और अन्य देशों ने मदद भेजने का प्रस्ताव रखा है।
तिब्बत की यह आपदा एक बार फिर यह याद दिलाती है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए सतर्कता और तैयारी कितनी महत्वपूर्ण है। अब सभी की निगाहें इस पर हैं कि प्रशासन कितनी तेजी से राहत कार्यों को अंजाम देता है और पुनर्वास कार्यों को आगे बढ़ाता है।
तिब्बत के विनाशकारी भूकंप के झटके भारत में भी महसूस किए गए
तिब्बत में सोमवार रात आए 7.8 तीव्रता के भूकंप के झटके भारत के उत्तर पूर्वी और उत्तरी हिस्सों में भी महसूस किए गए। दिल्ली, उत्तराखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, और सिक्किम सहित कई राज्यों में धरती हिलने से लोगों में दहशत फैल गई। भूकंप के झटके इतने तेज थे कि लोग अपने घरों और इमारतों से बाहर निकलकर खुले स्थानों में आ गए।
जानिए..भारत में भूकंप का झटका का कितना असर
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, तिब्बत में आए भूकंप का केंद्र भारत की सीमा से लगभग 400 किलोमीटर दूर था। इसके बावजूद, झटके दिल्ली-एनसीआर, लखनऊ, पटना और गंगटोक जैसे शहरों में स्पष्ट रूप से महसूस किए गए। हालांकि, भारत में किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं मिली है, लेकिन ऊंची इमारतों और पुरानी संरचनाओं में दरारें देखने को मिली हैं।
भूकंप के झटके महसूस होने से अपने-अपने घरों से बाहर निकले लोग
दिल्ली-एनसीआर और उत्तराखंड के कई इलाकों में रात करीब 9:30 बजे लोग भूकंप के झटके महसूस करते ही लोग सड़कों पर निकल आए।
उत्तराखंड और सिक्किम में भूकंप के झटके अधिक महसूस किए गए
उत्तराखंड और सिक्किम जैसे हिमालयी क्षेत्रों में भूकंप का प्रभाव अधिक महसूस किया गया। इन क्षेत्रों में भूस्खलन और पहाड़ों में दरारें पड़ने की संभावना के कारण प्रशासन सतर्क है। उत्तराखंड सरकार ने आपातकालीन सहायता के लिए टीमें तैनात कर दी हैं।
भूकंप विज्ञान के विशेषज्ञों का मानना है कि तिब्बत और हिमालय क्षेत्र भूकंप के लिहाज से अत्यधिक संवेदनशील है। इस भूकंप ने एक बार फिर हिमालय क्षेत्र में बड़े भूकंप की संभावना को उजागर किया है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ऐसे भूकंप भविष्य में भी आ सकते हैं, जिसके लिए पर्याप्त तैयारियां होनी चाहिए।

केंद्र सरकार ने लोगों से की अपील
भारत सरकार ने नागरिकों से शांत रहने और सतर्क रहने की अपील की है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने प्रभावित राज्यों के अधिकारियों से स्थिति की समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सभी जरूरी कदम उठाने का आश्वासन दिया है। जानकारी के लिए बता दें की भारत में कोई जान-माल का बड़ा नुकसान तो नहीं हुआ है, लेकिन प्रशासन सतर्क है। तिब्बत में हुए विनाशकारी नुकसान को देखते हुए भारत ने राहत सामग्री और बचाव दल की टीमों को तैनात करने की पेशकश की है।
https://indiafirst.news/devastating-earthquake-in-tibet
तिब्बत में भूकंप से हुई तबाही की कुछ विडियो और तस्वीरें-


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