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ग्रीनलैंड में डोनाल्ड ट्रम्प की रुचि अमेरिका की सुरक्षा नीति का हिस्सा

ग्रीनलैंड में डोनाल्ड ट्रम्प की रुचि अमेरिका की सुरक्षा नीति का हिस्सा

नीदरलैंड एम्स्टर्डम: डोनाल्ड ट्रम्प ने ग्रीनलैंड का मुद्दा क्या उठाया, विश्वभर में ग्रीनलैंड अचानक से सुर्ख़ियों में आ गया। हालाँकि ये कोई अचंभित करने वाला बयान नहीं है। ट्रम्प अपने पिछले कार्यकाल के दौरान ग्रीनलैंड को खरीदने का इच्छा प्रकट कर चुके हैं। इससे पहले 1867 में, अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन ने अलास्का को रूस से ख़रीदा। डेनिश सरकार और वहां के मीडिया के अनुसार उसके कुछ समय बाद राष्ट्रपति जॉनसन ने अलास्का की खरीद के साथ ग्रीनलैंड का अधिग्रहण करने पर विचार किया। इसी तरह का ऑफर तत्कालीन राष्ट्रपति Harry S. Truman 1946 में, ग्रीनलैंड के लिए डेनमार्क को 100 मिलियन डॉलर की सोने के रूप में पेशकश की। डेनिश सरकार ने इस के तरह सभी प्रास्तावों को ठुकरा दिया।

आखिर ऐसा क्या है ग्रीनलैंड में ?

ग्रीनलैंड सरकार के अनुसार – ग्रीनलैंड में प्राकृतिक संसाधनों जैसे – संचार उपक्रम से जुडी खनिजों, प्राकृतिक गैस, कोयला, लौह अयस्क, सीसा, जस्ता, मोलिब्डेनम, हीरे, सोना, प्लैटिनम, नाइओबियम, टैंटलाइट, यूरेनियम, मछली, सील, व्हेल, हाइड्रोपावर, और संभवतः अरबों अप्रयुक्त बैरल तेल की मौजूदगी प्रचुर मात्रा है। ट्रम्प की नजर इसी प्राकृतिक संसाधनों को प्राप्त करना है। इसके साथ ही सुरक्षा और रणनीति की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण भूवैज्ञानिक स्थान पर स्थित है। ग्रीनलैंड में दुनियाभर के शोध संस्थानों के साथ ही समुद्र से घीरा होना, कई देशों के सैन्य शिविरों (अमेरिकी आर्मी बेस) का होना शामिल है। वहीं मौसम, रक्षा, पर्यावरण और अंतरिक्ष से जुड़े कई शोध संस्थान भी है। ट्रम्प का मानना है कि इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।

ग्रीनलैंड के बारें में कुछ चीजें जानना जरूरी –

18वीं सदी की शुरुआत से लेकर 1979 तक ग्रीनलैंड पर डेनमार्क का शासन रहा, बाद में एक स्वायत्त क्षेत्र का दर्जा दिया। 2009 में हुए जनमत संग्रह में, एक स्वायत्त क्षेत्र के रूप में स्वीकृति प्रदान किया गया। हालांकि अभी भी न्यायिक व्यवस्था, विदेश नीति, रक्षा और सुरक्षा नीति डेनमार्क सरकार के अंतर्गत आता है। ग्रीनलैंड के मात्र 20 प्रतिशत क्षेत्र में ही लोग निवास करते हैं बाकी क्षेत्र बर्फ के चादरों से ढकी हुई है। डेनमार्क के संसद में ग्रीनलैंड के दो प्रतिनिधित्व होता है। वहां का आधिकारिक भाषा ग्रीनलैंडिक है, पारंपरिक और सांस्कृतिक रूप से इनका सीधा जुडाव डेनमार्क के साथ है। 12वीं शताब्दी के शुरुआती दौर से ही डेनमार्क की उपस्थिति ग्रीनलैंड में है। प्रमाण के तौर पर viking का उल्लेख किया जाता है। पाठकों को वाइकिंग के बारे में जरूर पढ़ना चाहिए, इससे यूरोप के इतिहास को नजदीक से जानने और समझने का अवसर मिलेगा।

ट्रंप ने आर्मी के बल पर ग्रीनलैंड को हासिल करने की दी धमकी –

ट्रंप के ताजपोशी में महज 2 सप्ताह का ही समय रह गया और ऐसा लग रहा है की ग्रीनलैंड को लेकर ट्रंप काफी संजीदा होने के साथ ही, अपनी इच्छा और आक्रामकता भी दुनिया के समक्ष रख दिया। दुनिया इससे पूरी तरह से रूबरू है कि अमेरिकी सरकार की नीति हमेशा से ही अमेरिका पहले की रही है। इसके लिए किसी भी हद तक जा सकता है। अपने बयानों से डेनमार्क पर प्रेशर राजनीति करना है ताकि डेनमार्क स्वयं ही ग्रीनलैंड अमेरिका को सौंप दे। यहां तक कि सेना बल के दम पर ग्रीनलैंड को हासिल करने की धमकी दे डाला। वहीं विशेषज्ञ इसे बचकाना हरकत के तौर पर देख रहे हैं। कल ही प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ट्रंप ने आर्मी का बल-पूर्वक वाले बयान से मना कर दिया।

यूरोपीय संघ के कई नेताओं ने, ट्रंप के बयान पर टिप्पणियां और निंदा की –

Source (Photo Credit by Sean Gallup/Getty Images)

वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन का कहना है कि ग्रीनलैंड पर किसी भी तरह के सैन्य कार्यवाही या धमकी को यूरोपीय संघ स्वीकार नहीं करेगा।

जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने कहा कि अमेरिकी हमारा रणनीति साझेदार होने के साथ ही NATO के महत्वपूर्ण सदस्य होने के अलावा उसका संस्थापक सदस्य भी है। इस तरह के बयान से विवाद को बढ़ावा मिलता है। जरूरत है इस तरह के बयानों से बचना चाहिए।

पूरे मामले पर डेनमार्क सरकार का वक्तव्य –

डेनमार्क के प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन का कहना कि ग्रीनलैंड सेल करने के लिए नहीं बना है, ग्रीनलैंड का निर्णय वहां की जनता करेगी। बाहरी हस्तक्षेप पर कड़ी आपत्ति दर्ज की। इसके साथ ही डेनमार्क ने ग्रीनलैंड में गस्तियां बढ़ा दी। डेनमार्क के रक्षा मंत्री ट्रॉल्स लुंड पॉल्सेन ने बजट को दुगुनी कर दी। रक्षा बजट को बढ़ा करके 1.5 बिलियन डॉलर तक कर दिया। इसी से पता चलता है कि डेनमार्क की सरकार ट्रंप के बयान के बाद कितना संजीदा है।

इन सबके बीच डोनाल्ड ट्रंप जूनियर का ग्रीनलैंड दौरा –

जब विवाद हो रहा हो और इसी बीच ट्रंप के बेटे का ग्रीनलैंड पहुंचना सिर्फ संजोग है या फिर ट्रंप की योजना का हिस्सा। इस मसले पर जब मीडिया वालों ने उनसे बात करना चाहा तो सिर्फ इतना कहा कि यह मेरा निजी दौरा है। इसलिए मेरे दौरे को ट्रंप के बयान से न जोड़ा जाए। ये भी कहा कि ग्रीनलैंड के साथ अमेरिका की सामरिक हित जुड़ा हुआ है। इस बीच ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री Múte Bourup Egede ने साफ-साफ कहा है कि हमारा यूएसए के साथ जाने का कोई इरादा नहीं है।

पर्यावरण को बचाने में आर्कटिक और ग्रीनलैंड का महत्वपूर्ण योगदान –

ग्रीनलैंड दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है। पर्यावरण विषेशज्ञों की दृष्टि से देखा जाए तो ग्रीनलैंड को बचाए रखना प्रथ्वी के लिए बहुत ही आवश्यक है क्यूंकि वहां की जनसंख्या मात्र 57000 के आस-पास है, इसे काफी हद-तक संतुलित किया जा सकता है। पिछले दो दशकों में, वहां पर जिस तरह से बुनियादी ढांचे जैसे पर्यटन, सड़क, हवाई अड्डा इत्यादि पर निवेश कार्य किया गया। इससे स्वाभाविक है यात्राएँ करने का प्रचलन बढा और मनुष्यों की उपस्थिति भी बढ़ी, इस कारनवास प्रथ्वी पर संकट भी मंडरा रहा है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के एक प्रसिद्ध आर्कटिक विशेषज्ञ प्रोफेसर पीटर वाधम्स के अनुसार जिन्होंने ग्रीनलैंड की पर्यावरणीय स्थिति पर व्यापक अंतर्दृष्टि प्रदान की है, इनके द्वारा किया गया अवलोकन – ग्रीनलैंड में प्रति घंटे 30 मिलियन टन से अधिक अभूतपूर्व बर्फ का पिघलना और जल में समाहित होना। कहीं बड़ी घटनाक्रम और नाटकीय परिदृश्य परिवर्तन की ओर इशारा तो नहीं। समुद्र के स्तर में वृद्धि: नवीनतम शोध से पता चलता है कि 2100 तक संभावित 5 मीटर की वृद्धि, पिछले अनुमानों से कहीं अधिक है। ग्रीनलैंड की बर्फ पिघलने से दुनिया भर के तटीय इलाकों में बाढ़ के खतरे की चेतावनी। प्रोफेसर पीटर वाधम्स का मानना है की ग्रीनलैंड पर लगातार निगरानी रखने की आवश्यकता है तभी समय रहते बड़ी अनहोनी को रोका जा सकता है।

ट्रम्प का अगला कदम क्या होगा –

ग्रीनलैंड में डोनाल्ड ट्रम्प की रुचि अमेरिका की सुरक्षा नीति का हिस्सा

डोनाल्ड ट्रम्प 20 जनवरी को, अमेरिका का राष्ट्रपति पद का शपथ लेने बाद, वह आधिकारिक तौर पर अमेरिका का राष्ट्रपति होंगे। वह स्वयम एक सफल उद्योगपति हैं। कुछ सप्ताह पहले ही ट्रम्प ने कहा की वह डेनमार्क पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने पर विचार करेगा। इसके साथ ही डेनमार्क पर टैरिफ का साया मंडरा रहा है। ट्रम्प हमेशा से ही दबाव की राजनीति करना रास आया। इस बार भी उम्मीद यही है, चाइना के साथ व्यापार युद्ध जारी रखना, यूरोपीय संघ और भारत के साथ नए सिरे से व्यापार समझौता करना एजेंडा में शामिल है। ख़ास करके डेनमार्क को इस ओर घसीटना चाहता है ताकि ग्रीनलैंड को लेकर दबाव डाला जा सके और अपनी बात मनवा सके। वह इस पर काफी गंभीर भी है। ट्रम्प का चुनावी नारा – MAKE AMERICA GREAT AGAIN (अमेरिका को फिर से महान बनाएं) है। अमेरिकीयों को उनसे आशाएं हैं।

https://www.researchgate.net/profile/P-Wadhams

https://www.damtp.cam.ac.uk/user/pw11

https://denmark.dk/people-and-culture/greenland

https://indiafirst.news/donald-trumps-interest-in-greenland-part-of-a-deliberate-strategy

https://indiafirst.news/donald-trumps-interest-in-greenland-part-of-us-security-policy

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