नेपिडॉ/बैंकॉक: दक्षिण-पूर्व एशिया में शुक्रवार को आए भयानक भूकंप ने म्यांमार और थाईलैंड में भारी तबाही मचा दी। अब तक म्यांमार में 1002 लोगों की मौत और 2,376 लोगों के घायल होने की पुष्टि हो चुकी है। वहीं, थाईलैंड में 10 लोगों की मौत और 68 लोगों के घायल होने की खबर है। राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं।
म्यांमार में सबसे ज्यादा तबाही, मांडले बना विनाश का केंद्र
भूकंप की तीव्रता 7.7 मापी गई, जिसका केंद्र म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले के पास जमीन की गहराई में था। भूकंप के कारण कई ऊंची इमारतें मलबे में तब्दील हो गईं। राजधानी नेपिडॉ और यांगून में भी भयंकर नुकसान हुआ। राहत कर्मी लगातार मलबे में दबे लोगों की तलाश कर रहे हैं, लेकिन मरने वालों की संख्या और बढ़ने की आशंका है।
थाईलैंड में भी भूकंप का असर, बैंकॉक में गिरी इमारत
थाईलैंड में भी इस भूकंप का असर महसूस किया गया। राजधानी बैंकॉक में एक निर्माणाधीन ऊंची इमारत ढह गई, जिससे 10 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए। बैंकॉक के अलावा अन्य शहरों में भी हल्के झटके महसूस किए गए।
14 बार कांपी धरती, चीन और भारत तक पहुंचे झटके
भूकंप के बाद अब तक 14 आफ्टरशॉक्स दर्ज किए गए। इसके झटके न सिर्फ म्यांमार और थाईलैंड, बल्कि चीन के यूनान और सिचुआन प्रांतों में भी महसूस किए गए। भारत के दिल्ली-एनसीआर में भी हल्के झटके दर्ज हुए, जिससे लोग दहशत में घरों से बाहर निकल आए।
भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ
भारत ने इस प्राकृतिक आपदा के बाद तुरंत राहत सामग्री भेजने का ऐलान किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर म्यांमार और थाईलैंड को हरसंभव मदद का भरोसा दिया। भारतीय वायुसेना के विशेष विमान राहत सामग्री और मेडिकल सप्लाई लेकर म्यांमार रवाना हो चुके हैं। साथ ही, NDRF (नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स) की टीमें भी राहत कार्य में शामिल होंगी।
मलबे में फंसे लोगों को निकालने की कोशिशें जारी
राहत और बचाव दल दिन-रात मलबे में दबे लोगों को बचाने में जुटे हैं। मांडले, नेपिडॉ और यांगून में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। कई इलाकों में बिजली और संचार सेवाएं ठप हो गई हैं, जिससे राहत कार्य में दिक्कतें आ रही हैं।
भूकंप का प्रभाव: एक नजर
- म्यांमार: 1,002 मौतें, 2,376 लोग घायल
- थाईलैंड: 10 मौतें, 68 लोग घायल
- भूकंप की तीव्रता: 7.7 (म्यांमार),
- 14 बार आफ्टरशॉक्स
- भारत समेत कई देशों ने राहत सामग्री भेजी
भूकंप के बाद की स्थिति को नियंत्रित करना सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। सरकारें और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां राहत और पुनर्वास कार्यों में जुटी हुई हैं।
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