नई दिल्ली। भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं को लेकर बड़ा बदलाव होने जा रहा है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) जल्द ही सैटेलाइट स्पेक्ट्रम को जारी करने के लिए एक प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जिसमें इसे सिर्फ पांच साल के लिए आवंटित करने की योजना है। यह प्रस्ताव न केवल भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री बल्कि Elon Musk की कंपनी Starlink के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा। हालांकि, इस फैसले से Starlink की भारत में एंट्री और उसके कारोबारी मॉडल पर गहरा असर पड़ सकता है।
क्या है TRAI का प्रस्ताव?
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, TRAI पांच साल के लिए ब्रॉडबैंड सैटेलाइट स्पेक्ट्रम जारी करने की योजना बना रहा है, ताकि शुरुआती मार्केट ट्रेंड का विश्लेषण किया जा सके। खास बात यह है कि इस बार टेलीकॉम स्पेक्ट्रम की तरह इसे नीलामी के माध्यम से नहीं, बल्कि एडमिनिस्ट्रेटिव तरीके से आवंटित करने का प्रस्ताव दिया गया है।
नीलामी की बजाय एडमिनिस्ट्रेटिव आवंटन का मतलब?
अब तक भारत में टेलीकॉम स्पेक्ट्रम की नीलामी होती रही है, जिससे सरकार को भारी राजस्व मिलता है। लेकिन सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के मामले में सरकार इसे एडमिनिस्ट्रेटिव तरीके से आवंटित करने की योजना बना रही है। इससे उन कंपनियों को फायदा होगा जो इस क्षेत्र में पहले से मौजूद हैं या जो कमर्शियल स्तर पर सेवाएं देना चाहती हैं, जैसे कि Starlink। हालांकि, रिलायंस Jio और Airtel इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।
Starlink के लिए क्या होगा असर?
Elon Musk की कंपनी Starlink भारत में Jio और Airtel के साथ मिलकर अपने सैटेलाइट इंटरनेट डिवाइसेस बेचने की योजना बना रही है। लेकिन स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर चल रही अनिश्चितता के कारण Starlink की इंटरनेट सेवा शुरू होने में देरी हो सकती है।
- 5 साल का सीमित लाइसेंस: Starlink को लंबी अवधि के निवेश की जरूरत होती है। लेकिन अगर स्पेक्ट्रम सिर्फ 5 साल के लिए ही जारी किया जाता है, तो कंपनी को बार-बार रिन्यूअल की चिंता रहेगी।
- जियो-एयरटेल का विरोध: Starlink को भारत में लाइसेंस मिलने में पहले से ही कठिनाइयां आ रही थीं। अब Jio और Airtel के विरोध के चलते उसकी राह और मुश्किल हो सकती है।
- स्पेक्ट्रम आवंटन प्रक्रिया: Starlink चाहती है कि स्पेक्ट्रम का आवंटन एडमिनिस्ट्रेटिव तरीके से हो, लेकिन Jio और Airtel इसे नीलामी के जरिए देने की मांग कर रहे हैं। अगर सरकार नीलामी का रास्ता अपनाती है, तो Starlink को अधिक निवेश करना पड़ेगा, जिससे उसकी सेवाएं महंगी हो सकती हैं।
Jio और Airtel का विरोध क्यों?
Jio और Airtel के लिए सैटेलाइट स्पेक्ट्रम बेहद अहम है, क्योंकि वे पहले से टेलीकॉम सेक्टर में बड़े निवेश कर चुके हैं। अगर सरकार बिना नीलामी के Starlink को स्पेक्ट्रम आवंटित करती है, तो इससे इन कंपनियों को नुकसान होगा। इसी कारण वे चाहते हैं कि स्पेक्ट्रम की नीलामी हो, जिससे उन्हें भी बराबरी का मौका मिले।
हालांकि, अब Elon Musk ने Jio और Airtel के साथ पार्टनरशिप कर ली है, जिससे इस विरोध की तीव्रता थोड़ी कम हो सकती है। लेकिन Starlink को भारत में सर्विस शुरू करने के लिए अब भी सरकारी मंजूरी का इंतजार करना होगा।
क्या भारत में Starlink की सेवा जल्द शुरू होगी?
Starlink की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा के भारत में शुरू होने की कोई स्पष्ट तारीख अभी तक सामने नहीं आई है। Jio और Airtel के साथ उसके डिवाइसेस की बिक्री को लेकर करार जरूर हुआ है, लेकिन स्पेक्ट्रम मिलने के बाद ही Starlink अपनी सेवा शुरू कर पाएगी। अगर TRAI का प्रस्ताव लागू होता है, तो Starlink को सिर्फ 5 साल का स्पेक्ट्रम मिलेगा, जिससे वह लंबी अवधि की रणनीति पर काम नहीं कर पाएगी।
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