IndiaFirst.News: पश्चिम बंगाल के ग्रामीण राजनीति की अनोखी दास्तां पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गांव रशीदाबाद में, एक महिला का नाम इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। यह नाम है लवली खातुन, जो अब उस गांव की ग्राम प्रधान हैं। हालांकि, लवली खातुन का यह सफर साधारण नहीं है। उनकी पहचान एक बांग्लादेशी घुसपैठिया के रूप में शुरू हुई थी, और अब वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत जनता की प्रतिनिधि बन चुकी हैं।
विवाद की इनसाइड स्टोरी
मालदा जिले के रशीदाबाद ग्राम पंचायत की मुखिया लवली खातून पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। दावा किया गया है कि लवली खातून, जिनका असली नाम नसिया शेख है, स्थानीय कहते हैं कि वो बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में आईं और फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय नागरिकता हासिल कर पंचायत चुनाव लड़ी इसके बाद वह TMC की पंचायत प्रमुख बन गईं। इस मामले ने न सिर्फ मालदा, बल्कि पूरे बंगाल में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है।

घुसपैठ की दिलचस्प कहानी
कहा जाता है कि लवली खातुन करीब एक दशक पहले बांग्लादेश से भारत आई थीं। सीमावर्ती इलाकों की ढीली सुरक्षा और तस्करी नेटवर्क के जरिए उन्होंने भारतीय नागरिकता हासिल की। सरकारी दस्तावेज, जैसे राशन कार्ड और आधार कार्ड, का प्रबंध स्थानीय राजनीतिक संरक्षकों की मदद से हुआ।

TMC के क्षेत्रीय नेताओं के सहयोग से राजनीति में प्रवेश
गांव में रहने के दौरान लवली खातुन ने महिलाओं और गरीब तबके के लिए काम करना शुरू किया। अपने मधुर स्वभाव और मेहनत की वजह से उन्होंने ग्रामीणों का विश्वास जीत लिया। धीरे-धीरे, स्थानीय राजनीतिक दलों की नजर उन पर पड़ी। क्षेत्रीय नेताओं ने उन्हें अपने पक्ष में जनता का समर्थन जुटाने के लिए एक चेहरा बनाया।
मजबूत जनाधार के बदौलत बतौर उम्मीदवार चुनाव में जीत
2023 में हुए ग्राम प्रधान पंचायत चुनाव में लवली खातुन को एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल TMC ने उम्मीदवार बनाया। उनके प्रतिद्वंद्वी ने उनके बांग्लादेशी मूल पर सवाल उठाए, लेकिन मजबूत जनाधार के चलते यह मुद्दा दब गया। चुनाव परिणाम में लवली खातुन ने बड़े अंतर से जीत हासिल की और ग्राम प्रधान बन गईं।
राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक हलचल आलोचना और विवाद
उनकी जीत के बाद यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर तूल पकड़ लिया। विपक्षी दलों ने यह सवाल उठाया कि एक कथित घुसपैठिया कैसे ग्राम प्रधान बन सकता है। राज्य सरकार पर भी आरोप लगे कि उसने वोट बैंक की राजनीति के लिए ऐसे लोगों को संरक्षण दिया।

कोलकता हाईकोर्ट में रेहाना सुल्तान की तरफ से दाखिल की गई याचिका
लवली खातुन के खिलाफ हाईकोर्ट में चंचल की रहने वालीं रेहाना सुल्ताना की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी। रेहाना ने साल 2022 में लवली के खिलाफ ही ग्राम पंचायत का चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
निर्वाचित ग्राम प्रधान लवली खातुन का पक्ष
उन्होंने कहा यह मामला स्पष्ट रूप से चुनावी विवाद से संबंधित है, जहां रेहाना सुल्ताना मेरे खिलाफ ग्राम पंचायत चुनाव लड़ी और हार गईं। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। आमतौर पर ऐसी याचिकाएं चुनाव परिणामों को चुनौती देने, चुनाव प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाने, या उम्मीदवार की पात्रता पर सवाल उठाने से जुड़ी होती हैं।
लवली खातुन ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए खुद को भारतीय नागरिक बताया। उन्होंने कहा, “मैंने इस गांव को अपना घर माना है और यहां की जनता के लिए काम किया है। मेरा मकसद केवल विकास है, न कि राजनीति।”
भारतीय लोकतंत्र, राजनीति और सीमाई इलाकों की जटिलताओं को उजागर करती भविष्य का सवाल
लवली खातुन की कहानी भारत में घुसपैठ और नागरिकता के सवालों पर एक बड़ी बहस को जन्म देती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी प्रधानगी में गांव का विकास कितना होता है और उनके खिलाफ उठ रहे कानूनी व राजनीतिक सवालों का अंत किस रूप में होता है। लवली खातुन की कहानी भारतीय लोकतंत्र, राजनीति और सीमाई इलाकों की जटिलताओं को उजागर करती है। यह सवाल भी उठाती है कि क्या जनता की सेवा करने के लिए किसी की पृष्ठभूमि को प्राथमिकता देनी चाहिए या नहीं।
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