रांची। गिरिडीह जिले में होली के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर झारखंड की सियासत में घमासान मचा हुआ है। भाजपा ने हेमंत सोरेन सरकार पर तुष्टीकरण का आरोप लगाते हुए इसे हिंदू विरोधी बताया, तो वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भाजपा पर समाज को बांटने की साजिश का आरोप लगाया।
भाजपा ने खोला मोर्चा, हर जिले में करेगी विरोध प्रदर्शन
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि गिरिडीह के घोड़थंबा में हिंदुओं को निशाना बनाया गया और हिंसा के बाद प्रशासन ने भी उन्हें ही प्रताड़ित किया। उन्होंने कहा,
“हेमंत सरकार की नीतियां पूरी तरह से हिंदू विरोधी हैं। सरकार तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है और निर्दोष लोगों को झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है।”
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी गिरिडीह पहुंचकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और सरकार पर दोहरे रवैये का आरोप लगाया। भाजपा ने ऐलान किया कि वह हर जिले में विरोध प्रदर्शन करेगी और विधानसभा सत्र के दौरान भी इस मुद्दे को उठाएगी।
मधुपुर और हजारीबाग की घटनाओं पर भी गरमाई राजनीति
गिरिडीह हिंसा के साथ ही भाजपा ने देवघर जिले के मधुपुर में एक स्कूल भवन से सटे मदरसे में मस्जिद की मीनार बनाए जाने का मुद्दा भी उठाया। गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे ने आरोप लगाया कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों की बढ़ती गतिविधियां राज्य की शांति के लिए खतरा बन रही हैं।
झामुमो का पलटवार: ‘भाजपा की साजिश सफल नहीं होगी’
झामुमो ने भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि गिरिडीह हिंसा में शामिल असामाजिक तत्वों पर प्रशासन कड़ी कार्रवाई कर रहा है। झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा,
“भाजपा समाज में नफरत फैलाने की साजिश कर रही है, लेकिन राज्य की जनता इनके झांसे में आने वाली नहीं है। हेमंत सरकार सबको साथ लेकर चलने में विश्वास रखती है, जबकि भाजपा सिर्फ सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति करना चाहती है।”
राजनीतिक रणनीति: भाजपा ध्रुवीकरण पर खेलेगी दांव
विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव में मिली हार के बाद भाजपा अब सरकार को विकास और जनकल्याण के मुद्दों पर नहीं, बल्कि तुष्टीकरण और हिंदू विरोधी एजेंडे पर घेरने की रणनीति अपना रही है। पार्टी इस मुद्दे को विधानसभा में भी जोर-शोर से उठाने की तैयारी में है।
वहीं, झामुमो सरकार अपने विकास कार्यों को आगे रखकर भाजपा के हमलों का जवाब देने की रणनीति बना रही है। झारखंड की सियासत में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और विकास की राजनीति के बीच यह टकराव आने वाले समय में और तीखा हो सकता है।
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