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चारमीनार के साये में मातम: गुलजार हाउस इमारत भीषण अग्निकांड, 17 की मौत,  8 मासूमों की सांसें थमीं


हैदराबाद। गुलजार हाउस चौराहे पर रोज़ की रौनक आज चीख़‑पुकार में बदल गई। चारमीनार से कुछ ही कदम दूर छह‑मंज़िला रिहाइशी‑व्यावसायिक इमारत में तड़के आग भड़क उठी। धुएँ और लपटों ने इतनी तेज़ी से मंज़िल दर मंज़िल को घेरा कि 17 ज़िंदगियाँ बुझ गईं; इनमें आठ बच्चे थे, जिनके स्कूल‑बैग अभी भी सीढ़ियों के कोने में पड़े मिले।

बचाव का रेस्क्यू ऑपरेशन: धुएँ से भरी साँसें और टूटती बाल्कनियाँ

  • सुबह 6:32 — फ़ायर कंट्रोल रूम को पहला कॉल।
  • 6:40 — चार दमकल गाड़ियाँ पहुँचीं; बाद में संख्या 12 तक बढ़ी।
  • 7:10 — हाइड्रोलिक लैडर से तीसरी‑चौथी मंज़िल पर फँसे लोगों को निकाला गया।
  • 8:15 — दमकलकर्मियों ने आग पर ‘ऑल‑आउट’ घोषित किया, मगर तब तक देर हो चुकी थी।
    फ़ायर अधिकारी एम. श्रीनिवास ने बताया, “मुख्य सीढ़ी‑घर में जमा धुआँ जानलेवा साबित हुआ। ज़्यादातर मौतें दम घुटने से हुईं, जलने से नहीं।”

अस्पतालों में हाहाकार; 20 घायलों की हालत गंभीर

ओसमानिया व गांधी अस्पताल में कुल 20 घायलों का इलाज जारी है। डॉक्टरों के मुताबिक पाँच की हालत नाज़ुक है; इनमें तीन बच्चे शामिल हैं।

राजनैतिक हलचल: संवेदनाएँ, निर्देश और मुआवज़ा

  • मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने पूरे राज्य में एक‑दिन का शोक और उच्च‑स्तरीय जाँच के आदेश दिए।
  • केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने घटनास्थल का निरीक्षण कर राहत‑कार्य की प्रगति जानी।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक संदेश जारी करते हुए पीएम‑रिलिफ़ फ़ंड से मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख और घायलों को ₹50 हज़ार की अनुग्रह राशि घोषित की है।

आग की वजह क्या? प्राथमिक सुराग

प्रारंभिक रिपोर्ट इमारत के भूतल स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स गोदाम में शॉर्ट‑सर्किट की ओर इशारा करती है। दमकल विभाग ने बताया कि

  1. फायर‑NOC दो साल पहले ही समाप्त हो चुकी थी।
  2. सीढ़ियों में इमरजेंसी‑लाइट व स्मोक‑एक्ज़ॉस्ट नहीं थे।
  3. एकमात्र फ़ायर‑एक्सिट पर ताला लगा पाया गया।
    नगर निगम और पुलिस की संयुक्त टीम ने भवन‑मालिक समेत तीन लोगों को हिरासत में लिया है।

चश्मदीद की जुबानी

“मैं चौथी मंज़िल के फ़्लैट‑202 में था। अचानक बिजली गई, फिर धुआँ भर गया। मोबाइल की टॉर्च में रास्ता ढूँढते‑ढूँढते मैं बालकनी से कूदने ही वाला था कि दमकल वालों ने क्रेन बढ़ाई,”- राहत पाने के बाद रो पड़े मोहम्मद आरिफ़ (27), जो मामूली झुलसे हैं।

बड़ा सबक, बड़ी माँग

शहर में 1,200 से ज़्यादा पुरानी बहुमंज़िला इमारतें बिना ताज़ा सुरक्षा सर्टिफ़िकेट के चल रही हैं। चारमीनार व्यापार संघ ने फ़ायर‑सुरक्षा ऑडिट के लिए “सर्वे‑इन‑15‑दिन” अभियान की माँग उठाई है। यदि प्रशासन नींद से नहीं जागा, तो गुलजार हाउस की आग सिर्फ़ शुरुआत साबित हो सकती है।

अंतिम सवाल

क्या हम इंतज़ार करेंगे कि अगली चिंगारी फिर किसी मासूम की साँस रोक दे, या आज की राख़ से सबक लेकर अपनी इमारतें और नीतियाँ दोनों दुरुस्त करेंगे?

https://indiafirst.news/gulzar-house-fire-tragedy

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