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इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: न्यायमूर्ति शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग याचिका खारिज

हाईकोर्ट कोर्ट का निर्णय

Justice Shekhar Yadav impeachment petition rejected: लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने पिछले महीने विश्व हिन्दू परिषद के एक कार्यक्रम में न्यायमूर्ति शेखर यादव की कथित विवादास्पद टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को मंगलवार को यह बताते हुए खारिज कर दिया कि यह सुनवाई योग्य नहीं है।

माननीय उच्च न्यायालय ने अशोक पांडेय की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया

न्याफयमूर्ति ए.आर. मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने कहा, “हमें नहीं लगता कि वर्तमान याचिका में उठाया गया मुद्दा किसी कमजोर वर्ग से संबंधित है। इस प्रकार, विचारणीयता की कसौटी पर, वर्तमान जनहित याचिका कार्यवाही शुरू करने की कसौटी पर खरी नहीं उतरती।”पीठ ने यह आदेश अशोक पांडे द्वारा दायर जनहित याचिका पर आदेश पारित किया।

इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला:   न्यायमूर्ति शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग याचिका खारिज
न्यायमूर्ति शेखर यादव।

याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि उच्च न्यायालय को राज्यसभा के सभापति को निर्देश जारी करना चाहिए कि वे 55 सांसदों द्वारा राज्यसभा महासचिव को सौंपे गए महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस पर आगे की कार्यवाही शुरू न करें।

जानकारी के लिए बता दें कि- दिग्गज सुप्रीम कोर्ट के वकिल और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के मामले में पहल करने के बाद राज्यसभा में उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाया गया था।

इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला:   न्यायमूर्ति शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग याचिका खारिज
पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल।

नोटिस में सांसदों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश न्यायमूर्ति यादव पर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) द्वारा 8 दिसंबर को प्रयागराज में आयोजित एक कार्यक्रम में दिए गए भाषण को लेकर महाभियोग चलाने की मांग की है।
जनहित याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि संवैधानिक न्यायालयों के समक्ष जनहित याचिका पर विचार करने का मुख्य सैद्धांतिक कारण यह है कि इसमें कमजोर वर्ग के लोगों के हितों का प्रतिनिधित्व किया जाए, लेकिन वर्तमान जनहित याचिका ऐसे वर्ग द्वारा दायर नहीं की गई है।

बता दें कि विगत 8 दिसंबर को उच्च न्यायालय में विहिप के विधिक प्रकोष्ठ और उच्च न्यायालय इकाई के प्रांतीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति शेखर यादव ने अन्य बातों के अलावा कहा कि समान नागरिक संहिता का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है।
अगले दिन, न्यायाधीश द्वारा भड़काऊ मुद्दों पर बोलते हुए वीडियो, जिसमें कानून बहुमत के अनुसार काम करता है, सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित किया गया, जिसके कारण कई क्षेत्रों से कड़ी प्रतिक्रियाएं आईं, जिनमें विपक्षी नेता भी शामिल थे,
जिन्होंने उनके कथित बयान पर सवाल उठाए और इसे घृणा से ग्रसित और सांप्रदायिक भाषण करार दिया था।

https://indiafirst.news/impeachment-petition-against-justice-shekhar-yadav-rejected

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