“नाम बदलने से न इतिहास मिटता है, न भूगोल की सच्चाई बदलती है। अरुणाचल न पहले चीन का था, न अब है, न कभी होगा।”
भारत और चीन के बीच सीमाई तनाव एक बार फिर सुर्खियों में है। चीन ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश के कई स्थानों के नाम बदलने का दुस्साहस किया है। लेकिन इस बार भारत ने बेहद तीखे शब्दों में इस हरकत को न सिर्फ खारिज किया, बल्कि चीन को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेनकाब करने का इशारा भी दिया है।
चीन की ‘नाम-नीति’ पर भारत का करारा तमाचा
भारत के विदेश मंत्रालय ने चीन के ‘नाम बदलो’ अभियान को “बेतुका, हास्यास्पद और व्यर्थ” करार देते हुए कहा कि यह “ना तो कानूनी मान्यता रखता है, और ना ही ज़मीनी सच्चाई पर असर डालता है।”
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने दो टूक शब्दों में कहा:
“हम ऐसे प्रयासों को पूरी तरह से खारिज करते हैं। यह निर्विवाद तथ्य है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा।”
क्या है चीन की रणनीति?
चीन बार-बार अरुणाचल प्रदेश को ‘दक्षिण तिब्बत’ बताकर राजनीतिक और कूटनीतिक भ्रम फैलाने की कोशिश करता रहा है। ताज़ा घटनाक्रम भी उसी रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाने की कोशिश करता है।
इस बार चीन ने अरुणाचल के कई स्थानों को चीनी और तिब्बती नाम देने की सूची जारी की है। लेकिन सच्चाई यह है कि यह नाम किसी वैश्विक संस्था द्वारा मान्य नहीं हैं, और न ही इनका कोई कानूनी आधार है।
भारत की स्थिति स्पष्ट है
भारत लगातार यह स्पष्ट करता रहा है कि
- अरुणाचल प्रदेश एक संवैधानिक राज्य है।
- वहाँ निर्वाचित सरकार है, विकास हो रहा है और भारत का प्रशासनिक नियंत्रण पूरी तरह प्रभावी है।
- यह भूभाग इतिहास, भूगोल, और जनता की भावना – तीनों स्तरों पर भारत का हिस्सा रहा है।
विश्लेषण: कूटनीति नहीं, प्रचार युद्ध लड़ रहा है चीन
चीन जानता है कि जमीन पर उसे कुछ हासिल नहीं हो सकता। इसलिए वह नाम बदलकर और नक्शे छापकर एक ‘प्रचार युद्ध’ लड़ रहा है। लेकिन भारत की प्रतिक्रिया अब ‘नरम कूटनीति’ की जगह स्पष्ट और निर्णायक हो गई है।
भारत का संदेश दुनिया को
- चीन की हरकतें हास्यास्पद हैं।
- नाम बदलने से नक्शा नहीं बदलता।
- अरुणाचल पर कोई विवाद नहीं है – यह भारत का है।
- भारत किसी भी भ्रामक प्रचार को बर्दाश्त नहीं करेगा।
चीन के नाम बदलने की कवायद न भूगोल को बदल सकती है, न ही भारत की संप्रभुता को चुनौती दे सकती है। भारत अब यह लड़ाई सिर्फ शब्दों से नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रणनीतिक और सशक्त दलीलों से लड़ने को तैयार है।
https://indiafirst.news/india-china-dispute-response

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