By IndiaFirst.News | रिपोर्ट: त्रिलोक कुमार
तेहरान/वॉशिंगटन, 22 जून 2025 – पश्चिम एशिया एक बार फिर संकट के मुहाने पर है। अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों – फोर्डो, नतांज और इस्फहान – पर जबरदस्त एयरस्ट्राइक के बाद अब ईरान का पहला आधिकारिक रिएक्शन सामने आया है। ईरान की परमाणु ऊर्जा संस्था (AEOI) ने रविवार को स्पष्ट किया कि “हमारे सभी परमाणु केंद्र सुरक्षित हैं, कोई नुकसान नहीं हुआ, और रेडिएशन रिसाव जैसी कोई बात नहीं है।”
अमेरिका ने B-2 बॉम्बर्स और टॉमहॉक मिसाइलों से किया हमला
शनिवार, 21 जून की रात अमेरिका ने बेहद गोपनीय और हाई-प्रिसीजन ऑपरेशन को अंजाम दिया। B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स के जरिए फोर्डो पर 6 GBU-57 “मोअब” बम गिराए गए, जबकि नतांज और इस्फहान साइट्स पर कुल 30 टॉमहॉक क्रूज़ मिसाइलें दागी गईं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बयान में दावा किया कि “हमने फोर्डो जैसे अजेय ठिकाने को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है। यह अमेरिका की सैन्य श्रेष्ठता का प्रमाण है।”
ईरान का पलटवार- ‘हम नहीं झुकेंगे’
ईरान की तरफ से रविवार को AEOI ने बयान जारी कर कहा –
“हमारा परमाणु कार्यक्रम एक राष्ट्रीय औद्योगिक परियोजना है। यह किसी भी हाल में रुकेगा नहीं। अमेरिकी हमलों से हमारी क्षमताएं कमजोर नहीं होंगी।”
AEOI ने अमेरिका के दावों को खारिज करते हुए कहा कि – “सभी साइट्स की सुरक्षा जांच पूरी हो चुकी है। न कोई रेडिएशन लीक हुआ है, न ही कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षतिग्रस्त हुआ है।”
रेडिएशन रिसाव की आशंकाएं फेल

हमले के बाद वैश्विक स्तर पर रेडिएशन रिसाव को लेकर आशंकाएं जताई जा रही थीं। लेकिन AEOI के मुताबिक – “सभी न्यूक्लियर साइट्स रेडिएशन-फ्री हैं। जनता से अपील है कि वे घबराएं नहीं, सारी सुविधाएं सुरक्षित हैं।” यह बयान न सिर्फ ईरानी जनता के लिए भरोसे का संदेश है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसियों के लिए भी एक स्पष्ट सिग्नल है कि ईरान पारदर्शिता दिखा रहा है।
‘अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है ये हमला’
AEOI ने अमेरिका के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का गंभीर उल्लंघन बताया। ईरान ने कहा –
“हम इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाएंगे। यह हमला हमारे शांतिपूर्ण परमाणु अधिकार पर सीधा हमला है। वैश्विक समुदाय को इस आक्रामकता की निंदा करनी चाहिए।”
आगे क्या?
ईरान की ओर से अभी तक कोई जवाबी सैन्य कार्रवाई नहीं हुई है, लेकिन माहौल तनावपूर्ण है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह हमला पश्चिम एशिया को एक बड़े संघर्ष की ओर ले जा सकता है। अमेरिका की ओर से जहां इसे “सर्जिकल और सफल स्ट्राइक” कहा गया है, वहीं ईरान इसे “आक्रामक और गैर-कानूनी कार्रवाई” करार दे रहा है।
इस घटनाक्रम ने वैश्विक कूटनीति को झकझोर कर रख दिया है। अमेरिका और ईरान के बीच टकराव का यह नया अध्याय परमाणु स्थिरता, क्षेत्रीय शांति और वैश्विक राजनीति के लिए गहरे सवाल खड़े करता है।




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