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झारखंड सरकार का “अबुआ बजट” 2025-26: कल्याणकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास पर फोकस


रांची: झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए राज्य विधानसभा में “अबुआ बजट” पेश किया। इस बजट का कुल आकार 1,45,400 करोड़ रुपये है, जिसमें सरकार का प्रमुख ध्यान सामाजिक सुरक्षा, ग्रामीण विकास, बुनियादी ढांचे और कल्याणकारी योजनाओं पर केंद्रित रहा। इस बजट को जनहित से जोड़ते हुए इसे “अबुआ बजट” यानी “हमारा बजट” का नाम दिया गया है।

वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा कि यह बजट झारखंड की जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने और राज्य को विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए तैयार किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड की आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, और सरकार वित्तीय प्रबंधन को और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

बजट की प्रमुख घोषणाएँ

1. सामाजिक सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण

सरकार ने सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए 22,023.33 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इसके तहत विभिन्न पेंशन योजनाओं, समाज कल्याण कार्यक्रमों और गरीबों के लिए सहायता योजनाओं को मजबूत किया जाएगा।

महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए “मईंया सम्मान योजना” के तहत 13,363.36 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस योजना के अंतर्गत 18 से 50 वर्ष की महिलाओं को प्रति माह 2500 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।

2. ग्रामीण विकास और बुनियादी ढांचा

ग्रामीण विकास को प्राथमिकता देते हुए इस क्षेत्र के लिए 9,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। ग्रामीण कार्यों के लिए 4,576.30 करोड़ रुपये और पथ निर्माण के लिए 5,900.89 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित है। इसके तहत गांवों में सड़क, पेयजल और अन्य आधारभूत संरचनाओं को मजबूत किया जाएगा।

सरकार ने राज्य में 10 नए फ्लाईओवर बनाने का भी प्रस्ताव रखा है, जिससे ट्रैफिक की समस्या को कम किया जा सके।

3. कृषि और पशुपालन

झारखंड की अर्थव्यवस्था में कृषि एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। किसानों को ऋणमुक्त करने के लिए सरकार ने चार लाख किसानों के दो लाख रुपये तक के कर्ज माफ किए हैं।

कृषि उत्पादों की सुरक्षा के लिए “बिरसा कृषि बीमा योजना” की शुरुआत की गई है। इसके अलावा, पशुपालन विभाग के लिए 79,000 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया गया है, जिससे किसानों और पशुपालकों को लाभ होगा।

4. शिक्षा और स्वास्थ्य

शिक्षा के क्षेत्र में बड़े सुधार की घोषणा करते हुए सरकार ने 15,198.35 करोड़ रुपये प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा के लिए प्रस्तावित किए हैं। राज्य में पांच नए लॉ यूनिवर्सिटी स्थापित करने की भी घोषणा की गई है।

स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए 7,470.50 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया गया है। इसके तहत रांची में एक नए मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा, खूंटी, गिरिडीह, जमशेदपुर, धनबाद, देवघर और जामताड़ा में PPP मोड पर मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना है।

5. पर्यटन और विमानन

पर्यटन क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए 336.64 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया गया है। इसके तहत झारखंड के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का पुनरुद्धार किया जाएगा।

विमानन क्षेत्र को भी बढ़ावा देने के लिए 115.19 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया गया है, जिससे राज्य में हवाई कनेक्टिविटी को बेहतर बनाया जा सके।

6. राजकोषीय प्रबंधन और कर राजस्व

वित्त मंत्री ने बताया कि झारखंड की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। राज्य का जीएसडीपी और जीडीपी पिछले वित्तीय वर्ष से 13% अधिक हो गया है।

वित्तीय वर्ष 2025-26 में राज्य का स्व कर राजस्व 35,200 करोड़ रुपये और केंद्रीय करों में हिस्सेदारी 47,040.22 करोड़ रुपये अनुमानित है। सरकार ने राजकोषीय घाटे को 3% तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है।

7. नई योजनाएँ और बड़े प्रोजेक्ट्स

  • “अबुआ आवास योजना” के तहत लाभुकों को दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है।
  • सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के लिए नई योजनाओं की शुरुआत और पुरानी योजनाओं का पुनरुद्धार प्रस्तावित है।
  • राजस्व व्यय के लिए 1,10,636 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया गया है।

बकाया राशि का मुद्दा

झारखंड विधानसभा।

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने केंद्र सरकार पर 1,36,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि यह राशि झारखंड का हक है, और इसे राज्य सरकार किसी भी हालत में केंद्र से प्राप्त करेगी।

झारखंड में अब तक के बजट पेश करने वाले प्रमुख वित्त मंत्री

झारखंड के गठन के बाद सबसे अधिक 8 बार बजट पेश करने वाले नेता रघुवर दास हैं। उन्होंने पहली बार 2005-06 में बजट पेश किया था और 2015 से 2019 के बीच लगातार पांच बार बजट प्रस्तुत किया।

डॉ. रामेश्वर उरांव ने लगातार 5 बार बजट पेश कर दूसरा स्थान प्राप्त किया, जबकि मृगेंद्र प्रताप ने लगातार 4 बार बजट पेश किया। हेमंत सोरेन ने भी प्रभारी मंत्री के रूप में 2011-12 और 2012-13 में बजट पेश किया था।

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