रांची: झारखंड हाईकोर्ट में सोमवार को हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस एम.एस. रामचंद्र और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में उन अभ्यर्थियों की अपील याचिका पर बहस हुई, जो मेरिट लिस्ट की जानकारी न मिलने के कारण नियुक्ति से वंचित रह गए थे।
कोर्ट ने दी याचिका वापस लेने की सलाह
प्रार्थियों की ओर से बहस पूरी होने के बाद अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) की नियुक्ति नियमावली में मेरिट लिस्ट की सूचना व्यक्तिगत रूप से देने की बाध्यता नहीं है। कोर्ट ने प्रार्थियों को सुझाव दिया कि यदि वे चाहें तो अपनी याचिका वापस ले सकते हैं। हालांकि, प्रार्थियों की ओर से यह अनुरोध किया गया कि मामले में अंतिम आदेश पारित किया जाए। इसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
जेएसएससी की दलील – अभ्यर्थियों की लापरवाही
सुनवाई के दौरान जेएसएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत ही मेरिट लिस्ट जारी की गई थी। आयोग ने नोटिस जारी कर स्पष्ट किया था कि मेरिट लिस्ट केवल आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगी। आयोग का तर्क है कि अगर प्रार्थियों ने वेबसाइट पर जानकारी नहीं ली, तो यह उनकी गलती है।
अभ्यर्थियों की मजबूरी: सुदूर क्षेत्र में रहने का असर
अभ्यर्थियों ने अदालत के समक्ष अपनी कठिनाइयाँ रखीं। उन्होंने बताया कि वे झारखंड के दूरदराज के क्षेत्रों में रहते हैं, जहाँ इंटरनेट सुविधाएँ सीमित हैं। इस कारण वे मेरिट लिस्ट की जानकारी प्राप्त नहीं कर सके और प्रमाण पत्र सत्यापन की प्रक्रिया से चूक गए। उनका तर्क था कि पहले मेरिट लिस्ट की जानकारी मेल और मैसेज के जरिए दी जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ, जिससे उनके अधिकारों का हनन हुआ है।
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