सरायकेला-खरसावां/नीमडीह– झारखंड के सरायकेला-खरसावां ज़िले के नीमडीह थाना क्षेत्र स्थित झिमड़ी गांव में हालिया हिंसा और पुलिस कार्रवाई के बाद गांव में अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ है। आरोप है कि शनिवार को गांव में आगजनी, पथराव और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं। इसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आठ लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इनमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं।
पुलिस ने अब तक कुल 20 लोगों को नामजद और करीब 100 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। नीमडीह थाना पुलिस गांव में लगातार दबिश दे रही है, जिससे गांव के पुरुषों में भय व्याप्त हो गया है और वे बड़ी संख्या में गांव छोड़कर फरार हो गए हैं। अब झिमड़ी गांव में सिर्फ महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग ही बचे हैं।
घटना के पीछे धर्मांतरण विवाद?
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, घटना की पृष्ठभूमि में एक युवती के धर्मांतरण की बात सामने आ रही है। हालांकि, इस बारे में पुलिस जांच अभी जारी है और किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचना जल्दबाज़ी होगी। पुलिस अधीक्षक मुकेश कुमार लुणायत ने कहा है कि पीड़िता का 164 के तहत कोर्ट में बयान दर्ज किया जा चुका है और मेडिकल जांच भी कराई जा रही है।
पुलिस की चौकसी और लोगों में भय
गांव में दिन-रात पुलिस गश्ती हो रही है। जिन घरों के पुरुष फरार हैं, वहां सिर्फ महिलाएं हैं जो डरी-सहमी हालत में दिन गुजार रही हैं। गांव की अधिकतर दुकानें बंद हैं और जनजीवन लगभग ठप है। रविवार की शाम को पांच लोगों – खितीश कुमार, गंभीर प्रमाणिक, सीमांत महतो, हिमांशु महतो और क्रांति महतो – को पीआर बांड पर छोड़ दिया गया है, लेकिन स्थिति अब भी सामान्य नहीं है।
पुलिस का कहना है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। धर्मांतरण की पुष्टि के लिए जांच जारी है। वहीं, सामाजिक संगठनों और प्रशासनिक अधिकारियों की नजर इस संवेदनशील मामले पर बनी हुई है ताकि स्थिति और न बिगड़े।
झिमड़ी की घटना झारखंड में सामाजिक और सांप्रदायिक तनाव के एक और अध्याय को जोड़ती है। धर्म, पहचान और कानून की जटिलताओं में फंसे इस छोटे से गांव की कहानी अब पूरे राज्य की चिंता बन गई है।
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