रांची। झारखंड में एक बार फिर सिस्टम के भीतर छिपे भ्रष्टाचार की परतें खुलने लगी हैं। राज्य के वरिष्ठ IAS अधिकारी विनय कुमार चौबे को 38 करोड़ रुपये के गबन के आरोप में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोप है कि उन्होंने उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग में एजेंसियों के चयन में घोर अनियमितता बरती और सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया।
क्या है मामला?
ACB की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में बनी नई शराब नीति के तहत एजेंसियों के चयन में आईएएस चौबे और संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह ने तय प्रक्रिया की अनदेखी की। जांच एजेंसी का दावा है कि दोनों अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट के साथ साजिश रचते हुए झारखंड को जानबूझकर आर्थिक घाटा पहुंचाया।
इन पर आरोप है कि उन्होंने नीति निर्माण और टेंडर प्रक्रिया में धोखाधड़ी, कूटरचना और आपराधिक साजिश रचकर निजी एजेंसियों को अनुचित लाभ पहुंचाया।
कैसे हुआ खुलासा?
ACB ने पहले मंत्रिमंडल सचिवालय और निगरानी विभाग से जांच की अनुमति ली। फिर 20 मई 2025 को कांड संख्या 09/25 दर्ज किया गया। FIR में BNS की धाराएं 420, 467, 468, 471, 409, 109 और PC एक्ट 1988 की कई धाराएं लगाई गईं। BNS (भारतीय न्याय संहिता) की धाराएं भी जोड़ी गई हैं।
ACB के अनुसार, यह केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित आपराधिक षड्यंत्र है।
पूछताछ और जेल भेजा गया

ACB ने चौबे और गजेंद्र सिंह को छह घंटे तक आमने-सामने बिठाकर पूछताछ की। पूछताछ के बाद दोनों को रांची की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
IAS विनय चौबे कौन हैं?
विनय कुमार चौबे झारखंड कैडर के 2003 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने राज्य में कई प्रमुख पदों पर काम किया है – जिनमें रांची के उपायुक्त, शिक्षा सचिव और हाल में उत्पाद विभाग के प्रधान सचिव की भूमिका शामिल रही है। उनकी छवि अब तक एक ‘सक्षम प्रशासनिक अधिकारी’ की रही थी। लेकिन ताजा घटनाक्रम ने उनकी कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या कहती है सरकार?
सरकारी सूत्रों का कहना है कि अगर मामले की जांच में और भी नाम सामने आते हैं, तो उच्च स्तर पर कार्रवाई की जाएगी। ACB अब अन्य नीति निर्धारकों और प्रभावशाली ठेकेदारों की भूमिका भी खंगाल रही है।

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