चाकुलिया। झारखंड में धर्मांतरण और आदिवासी अधिकारों के मुद्दे पर राजनीति गरमा गई है। रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने चाकुलिया में आयोजित आदिवासी महासम्मेलन में राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला। सोरेन ने चेतावनी दी कि यदि झारखंड में धर्मांतरण नहीं रुका तो राज्य में भी “मुर्शिदाबाद जैसे हालात” बन जाएंगे और आदिवासियों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।
टाउन हॉल मैदान में भारत जकात माझी परगना महाल एवं आदिवासी सांवता सुसार अखाड़ा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सम्मेलन में सोरेन ने कहा, “जागो आदिवासी जागो! चाकुलिया की धरती से मैं आदिवासियों को जगाने आया हूं। धर्म परिवर्तन को हर हाल में रोकना होगा।”
चंपई सोरेन ने आरोप लगाया कि रांची, लोहरदगा, गुमला, साहिबगंज और पाकुड़ सहित कई जिलों में तेजी से धर्मांतरण हो रहा है और राज्य सरकार चुप्पी साधे हुए है। उन्होंने दावा किया कि आदिवासियों की परंपरागत मांझी-परगना महाल व्यवस्था खत्म करने की कोशिश की जा रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने हमेशा आदिवासियों के साथ धोखा किया है। उन्होंने याद दिलाया कि 1967 में कांग्रेस के ही सांसद कार्तिक उरांव ने आदिवासी पहचान बचाने के लिए ‘डीलिस्टिंग’ की मांग की थी, लेकिन कांग्रेस सरकार ने उस पर कोई कदम नहीं उठाया।
आरक्षण पर भी उठाए सवाल
चंपई सोरेन ने आदिवासी लड़कियों के दूसरे समुदाय में विवाह करने पर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि ऐसी शादियों पर आरक्षण की सुविधा रोकने का कानून बनाना चाहिए, ताकि आदिवासी समाज की पहचान कायम रह सके। उन्होंने संथाल परगना का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां कई पंचायत प्रतिनिधि आदिवासी महिलाएं हैं, लेकिन उनके पति दूसरे समुदाय से हैं।
उन्होंने संथाल परगना में बड़े आंदोलन का एलान करते हुए कहा कि लाखों की संख्या में आदिवासियों को जुटाकर धर्मांतरण और अधिकार हनन के खिलाफ संघर्ष छेड़ा जाएगा।
फर्जी प्रमाण पत्र और घुसपैठ पर जताई चिंता
चंपई सोरेन ने चाकुलिया प्रखंड में बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाए जाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह इलाका पश्चिम बंगाल से सटा हुआ है और बांग्लादेशी घुसपैठ का खतरा है। उन्होंने मांग की कि फर्जी सर्टिफिकेट मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।
सरकार पर आदिवासियों के अधिकार छीनने का आरोप
सम्मेलन में दिशोम तरफ परगना चंद्र मोहन मंडी ने भी सरकार पर आदिवासी विरोधी नीति अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मिले पेसा एक्ट के अधिकारों का पालन नहीं हो रहा है और राज्य सरकार आदिवासियों के साथ छल कर रही है।
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