झारखंड में हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही ऐक्टिव मोड में नजर आ रहे हैं उनका पुरा फोकस राज्य को राजस्व की प्राप्ति अधिक से अधिक कैसे हो इसपर है हेमंत सोरेन ने पहली कैबिनेट के बैठक में ही बेहतर राजस्व संग्रहण के नए स्रोत तलाशने का निर्देश दिया। राजस्व संग्रह के मुद्दे को लेकर झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि वह खनन क्षेत्र से राजस्व कैसे बढ़ाया जाय इसकी रणनीतियों का अध्ययन करने के लिए जल्द ही विशेषज्ञों की एक टीम को ओडिशा भेजेंगे। उन्होंने कहा कि झारखंड के पास देश के खनिज भंडार का 40 प्रतिशत हिस्सा है। इसके बावजूद राज्य खनन क्षेत्र से सालाना केवल 10 से 12 हजार करोड़ रुपये ही राजस्व की प्राप्ति होती है , जबकि पड़ोसी राज्य ओडिशा लगभग 50 हजार करोड़ राजस्व की प्राप्ति करता है ।
मंईयां सम्मान योजना के वजह से राज्यकीय कोष पर पड़ेगा 17500 करोड़ का अतिरिक्त बोझ

झारखंड सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक मंईयां सम्मान योजना जिसके वजह से कहा जा सकता है की हेमंत सरकार फिर सत्ता में आई। लेकिन इस योजना को सफल बनाने के लिए सरकार को अच्छी खासी फंड की जरूरत होगी। इसी की पूर्ति कैसे किया जाए और ज्यादा राजस्व कैसे बढ़ाया जाय इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए खन्न मॉडल का अध्यन करने विशेषज्ञों की टीम उड़ीसा और छतीसगढ जा रही है ।
वित मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि सरकार मईंया सम्मान योजना योजना सहित कई कल्याणकारी योजनाओं की लागत को कवर करने में जुट गई है 1.28 लाख करोड़ रुपये के वार्षिक बजट के बावजूद, राज्य सरकार को अकेले मंईयां सम्मान योजना के लिए प्रति वर्ष कम से कम 17500 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी. एक महिला के लिए 2,500 रुपये की रकम भी काफी मायने रखती है।
राज्य का केंद्र सरकार के पास 1.40 लाख करोड़ रुपए है बकाया

वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने बताया की राज्य का केंद्र सरकार के पास 1.40 लाख करोड़ रुपए बकाया है । 1.40 लाख करोड़ के लंबित बकाए पर तर्क दिया कि राजनीतिक नैतिकता यही है कि केंद्र सरकार भेद -भाव ना करते हुए निष्पक्षता से सहयोग करने और बकाया फंड जारी करने की मांग की जाएगी। हमारी संघीय शासन प्रणाली के तहत, केंद्र से अपना बकाया मांगने के लिए अदालत जाना तो कलंक होगा। केंद्र को अपनी गलती का एहसास होनी चाहिए बातचीत की पहल करनी चाहिए । कि वे झारखंड के लंबित फंड को कैसे जारी करने की योजना बना रहे हैं।
https://indiafirst.news/jharkhand-should-get-more-share-of-revenue
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