
IndiaFirst मुंबई। महाराष्ट्र में पिछले दिनों मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया है। मंत्रिमंडल विस्तार के 2 दिन बाद ही बगावत की आशंका तेज हो गई है। मामला यह है कि गठबंधन महायुति के 11 प्रमुख नेताओं को नई सरकार के मंत्रिमंडल में जगह नहीं दिया गया है। ये सभी महाराष्ट्र की पूर्व सरकार के मंत्रिमंडल में मंत्री थे।
महाराष्ट्र में राजनीति का मिजाज क्या है.. आप इस बात से अनुमान लगा सकते हैं कि विधानसभा का परिणाम आने के 12 दिन बाद तक भी गठबंधन महायुती से मुख्यमंत्री कौन बनेगा इसका निर्णय नहीं हो पा रहा था। अंतत: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के 13वें दिन के बाद देवेंद्र फडणवीस को सीएम के तौर पर चुना गया उनके बाद उनके साथ ही अजीत पवार और एकनाथ शिंदे ने उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली।
जानिए… महाराष्ट्र सतारूढ़ गठबंधन महायुती के कौन-कौन से प्रमुख नेता नाराज चल रहे हैं
सबसे प्रमुख नाम एनसीपी नेता छगन भुजबल का है

येओला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनकर आने वाले छगन भुजबल ने सोमवार को नई महायुति सरकार में शामिल नहीं किए जाने पर निराशा व्यक्त की और कहा कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से बात करने के बाद भविष्य की राह तय करेंगे। संवाददाताओं से बातचीत में भुजबल ने कहा कि वह नई कैबिनेट में शामिल नहीं किए जाने से नाखुश हैं। उन्होंने कहा कि मैं एक साधारण राजनीतिक कार्यकर्ता हूं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुझे अनदेखा कर दिया गया। उन्होंने कहा मंत्री पद तो आते जाते रहते हैं।
पार्टी ऑफिस के बाहर छगन भुजबल के समर्थकों ने किया भारी हंगामा

वरिष्ठ नेता छगन भुजबल के समर्थकों ने जमकर हंगामा किया। नासिक में भुजबल समर्थकों ने एनसीपी पार्टी ऑफिस के बाहर टायर जलाया। इससे पहले छगन भुजबल ने नागपुर में रविवार को पार्टी की बैठक से भी किनारा किया। भुजबल होटल में ही रुके रहे।
महायुती गठबंधन के नाराजगी जताने वाले विधायकों में सिर्फ छगन भुजबल नहीं और भी नाम है जैसे…तानाजी सांवत, सुधीर मुनगंटीवार और अन्य विधायकों ने विधान मंडल के कामकाज में हिस्सा नहीं लिया। इस मौके पर छगन भुजबल ने काले रंग का जोधपुरी ड्रेस पहना हुआ था। काले कपड़े पहनकर महायुति सरकार का विरोध जताने का तरीका विधानभवन में काफी चर्चा का विषय बना हुआ था।मंत्रिमंडल से बाहर होनेवाले बीजेपी के वरिष्ठ नेता व विधायक सुधीर मुनगंटीवार, शिंदे गुट के दीपक केसरकर, तानाजी सावंत, अब्दुल सत्तार, राष्ट्रवादी कांग्रेस के धर्मरावबाबा आत्राम सभागृह में उपस्थित ही नहीं हुए।
दूसरी ओर महायुति मंत्रिमंडल के बाहर होनेवाले और नाराज होनेवाले पूर्व मंत्री रवींद्र चव्हाण, सुरेश खाडये, विजय कुमार गावित और राष्ट्रवादी कांग्रेस के छगन भुजबल, दिलीप वलसे पाटील, अनिल पाटील और संजय बनसोडे अधिवेशन के कामकाज में शामिल नहीं हुए थे।

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