रांची/कोडरमा। झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) द्वारा आयोजित दसवीं बोर्ड परीक्षा में हिंदी और साइंस के प्रश्न पत्र लीक होने का मामला सामने आया था, जिसके बाद बोर्ड ने कड़ा कदम उठाते हुए परीक्षा को रद्द कर दिया गया था। इस पूरे मामले के तार कोडरमा और गिरिडीह से जुड़े पाए गए हैं, जिससे दोनों जिलों के प्रशासन से जैक बोर्ड ने स्पष्टीकरण मांगा है।
व्हाट्सएप ग्रुप से फैली थी साजिश
दो दिन पहले “JAC Board Examination Question Paper 2025” नामक एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया था, जिसमें छात्रों को प्रश्न पत्र देने के एवज में 350 रुपये की मांग की जा रही थी। ग्रुप में शामिल होने के लिए एक लिंक सोशल मीडिया पर वायरल किया गया, जिससे 1000 से ज्यादा लोग जुड़ गए।
सूत्रों के अनुसार, जो छात्र प्रश्न पत्र खरीदना चाहते थे, उनसे पहले एक बारकोड के माध्यम से 350 रुपये लिए जाते थे। भुगतान होने के बाद उनके निजी नंबर पर प्रश्न पत्र और उत्तर भेजे जाते थे। इसके बाद, परीक्षा शुरू होने से पहले ही छात्रों को पासवर्ड देकर प्रश्न पत्र खोलने की अनुमति दी जाती थी।
छात्रों ने खुद कबूली सच्चाई
शनिवार को जब साइंस की परीक्षा खत्म हुई, तब कोडरमा के दो स्कूलों में इसकी जांच की गई। वहां के छात्रों ने इस बात की पुष्टि की कि परीक्षा में मिला प्रश्न पत्र लीक हुए पेपर से बिल्कुल मेल खा रहा था। हालांकि, कुछ छात्रों ने पहले सीधा जवाब देने से बचने की कोशिश की, लेकिन जब प्रश्न पत्र का मिलान किया गया, तो वे भी इस सच्चाई को स्वीकार करने लगे।
प्रशासन और बोर्ड सतर्क
जैसे ही मामला सामने आया, कोडरमा के शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन डीसी मेघा भारद्वाज से संपर्क नहीं हो सका। वहीं, दूसरी ओर, जैक बोर्ड ने इस गंभीर मामले को लेकर तुरंत परीक्षा रद्द करने का फैसला लिया और कोडरमा तथा गिरिडीह जिला प्रशासन से जवाब मांगा है।
बड़ी लापरवाही या संगठित रैकेट?
प्रश्न पत्र लीक होने की इस घटना ने परीक्षा प्रणाली की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह लापरवाही है या एक संगठित रैकेट, इसकी गहन जांच की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ा जाएगा और परीक्षा की नई तिथि की घोषणा भी जल्द की जाएगी।
छात्रों और अभिभावकों में रोष
परीक्षा रद्द होने की खबर से छात्र और अभिभावक निराश हैं। छात्रों का कहना है कि यह उनकी मेहनत पर पानी फेरने जैसा है, जबकि अभिभावक प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
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