नई दिल्ली/इंफाल। जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में न्यायिक व्यवस्था की अहम भूमिका को दर्शाते हुए, सुप्रीम कोर्ट के छह न्यायाधीशों का एक प्रतिनिधिमंडल 22 मार्च को राज्य का दौरा करेगा। यह दौरा केवल एक न्यायिक यात्रा नहीं, बल्कि प्रभावित समुदायों के प्रति न्यायपालिका की संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण को भी रेखांकित करता है।
न्यायपालिका की दरियादिली: राहत शिविरों का निरीक्षण
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस बीआर गवई के नेतृत्व में यह प्रतिनिधिमंडल इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम और उखरुल जिलों के राहत शिविरों का दौरा करेगा। उनके साथ सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत, विक्रम नाथ, एमएम सुंद्रेश, केवी विश्वनाथन और एन. कोटिस्वर सिंह भी मौजूद रहेंगे। दौरे का उद्देश्य मणिपुर में जारी राहत कार्यों की समीक्षा करना और प्रभावित लोगों को कानूनी सहायता सुनिश्चित करना है।
हिंसा के दो साल: अब भी राहत शिविरों में 50,000 से अधिक विस्थापित
गौरतलब है कि मई 2023 में मणिपुर में भड़की सांप्रदायिक हिंसा ने राज्य को गहरे जख्म दिए। हजारों लोगों के घर जलकर राख हो गए, सैकड़ों लोगों की जान चली गई और 50,000 से अधिक लोग आज भी राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का यह दौरा न केवल इन पीड़ितों की समस्याओं को समझने की कोशिश है, बल्कि उनके पुनर्वास और अधिकारों की सुरक्षा को भी प्राथमिकता देने का संकेत देता है।
कानूनी सहायता केंद्र और चिकित्सा शिविरों का शुभारंभ
NALSA के अनुसार, इस दौरे के दौरान राज्य में कई नए कानूनी सहायता क्लीनिकों, कानूनी सेवा शिविरों और चिकित्सा शिविरों का उद्घाटन किया जाएगा। इससे प्रभावित लोगों को नि:शुल्क कानूनी परामर्श और सहायता मिलेगी। साथ ही, राहत शिविरों में रहने वाले आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (IDPs) को आवश्यक राहत सामग्री भी वितरित की जाएगी।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: कांग्रेस ने किया स्वागत, सरकार पर साधा निशाना

सुप्रीम कोर्ट के इस कदम का कांग्रेस ने स्वागत किया है। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने इसे न्यायपालिका का सराहनीय प्रयास बताया और सुप्रीम कोर्ट के अगस्त 2023 के उस फैसले की याद दिलाई, जिसमें कहा गया था कि मणिपुर में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है।
हालांकि, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘चुप्पी’ पर भी सवाल उठाए। रमेश ने कहा, “मोदी दुनिया भर में जाते हैं, असम भी जाते हैं, लेकिन मणिपुर जाने का समय नहीं निकालते। क्या मणिपुर के लोग उनके दौरे के लायक नहीं?”
मणिपुर के लिए आशा की किरण?
सुप्रीम कोर्ट के जजों का यह दौरा मणिपुर के पीड़ितों के लिए राहत और न्याय की एक नई उम्मीद जगा सकता है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस यात्रा के बाद राज्य की स्थिति को लेकर कोई ठोस समाधान सामने आता है या नहीं। न्यायपालिका का यह मानवीय पहलू निश्चित रूप से कानूनी और सामाजिक सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा सकता है।
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