☀️
–°C
Fetching location…
🗓️ About Join Us Contact
☀️
–°C
Fetching location…

Updates

Categories

Join US

महबूबा का सवाल: ‘जब यूक्रेन में शांति ला सकते हैं, तो पड़ोसी से क्यों नहीं?’

Mehbooba mufti

श्रीनगर। भारत-पाकिस्तान सीमा पर हालिया तनाव के बीच पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर युद्ध की आग के बजाय संवाद की राह को प्राथमिकता देने की अपील की है। एक भावुक बयान में उन्होंने कहा, “अब बहुत हो चुका। जियो और जीने दो की बात सिर्फ नारा नहीं, ज़रूरत है।”

ड्रोन हमला और भारतीय प्रतिक्रिया

पाकिस्तान की ओर से कथित ड्रोन हमले की भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने जवाबी कार्रवाई में विफल कर दिया। इस टकराव के बाद सीमा के पास तनाव और गहरा गया। लेकिन इन घटनाओं के बीच, जो सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रहे हैं, वे हैं सरहद के दोनों ओर के आम नागरिक – महिलाएं, बच्चे, और वे ग्रामीण जिनका युद्ध से कोई लेना-देना नहीं।

राजनीतिक समाधान की वकालत

महबूबा मुफ्ती ने कहा, “जितना समय हम हथियारों और हमलों पर बर्बाद कर रहे हैं, उतना अगर संवाद और सहमति पर लगाएं तो जानें बच सकती हैं। पुलवामा हो या पहलगाम, हरेक घटना ने हमें हिंसा के और करीब खींचा है, समाधान के नहीं।”

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से अपील करते हुए कहा कि जब यूक्रेन-रूस युद्ध में भारत ने शांति की वकालत की थी, तब अब अपने पड़ोसी के साथ क्यों नहीं?

“मासूम मर रहे हैं, जिम्मेदारी कौन लेगा?”

अपनी बात कहते हुए महबूबा मुफ्ती भावुक हो गईं। उन्होंने कहा, “दोनों देश एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाने के दावे कर रहे हैं, लेकिन असल में दोनों तरफ़ के मासूम मर रहे हैं। कौन है जो इनके आँसू पोंछेगा? ये बच्चे किसी रणनीतिक जीत का हिस्सा नहीं हैं।”

मीडिया की भूमिका पर सवाल

महबूबा मुफ्ती ने मीडिया पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि दोनों देशों का मीडिया ज़िम्मेदारी निभाने के बजाय उत्तेजना फैला रहा है। “जब मीडिया यह कहता है कि इस्लामाबाद नष्ट हो गया, या भारत ने सीमा पार घुसकर हमला किया, तब यह सिर्फ टीआरपी की लड़ाई बन जाती है, इंसानियत की नहीं।”

उन्होंने मीडिया से संयम बरतने और मानवीय दृष्टिकोण को प्राथमिकता देने की अपील की।

“शांति कोई कमजोरी नहीं”

महबूबा ने कहा, “शांति की बात करना कोई कमजोरी नहीं है। यह वही मजबूती है जो सैकड़ों परिवारों को उजड़ने से रोक सकती है। सेना की ज़िम्मेदारी देश की सुरक्षा है, लेकिन असल समाधान राजनीतिक इच्छाशक्ति से आता है।”

महबूबा मुफ्ती का यह बयान एक ऐसे समय आया है, जब दोनों देशों के बीच तनाव किसी भी समय खुली जंग में तब्दील हो सकता है। ऐसे में, उनका यह आग्रह – “जियो और जीने दो” – न सिर्फ सरकारों के लिए, बल्कि हम सबके लिए एक चेतावनी और अवसर दोनों है: क्या हम युद्ध की आग में बच्चों का भविष्य जलाना चाहते हैं, या मिलकर शांति की नींव रखना चाहते हैं?

https://indiafirst.news/mehbooba-peace-question

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ताज़ा समाचार

और पढ़ें

प्रमुख समाचार