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डायमंड किंग’ से ‘स्कैम किंग’ बना मेहुल चोकसी: कैसे मामा-भांजे ने मिलकर रचा 14 हजार करोड़ का घोटाला

Mehul Choksi and Nirav Modi PNB Scam

गुजरात के पालनपुर से निकला एक शख्स, जिसने हीरे के कारोबार में नाम कमाया, सैकड़ों स्टोर्स खोले, ब्रांड्स बनाए और देश-विदेश में अपनी कारोबारी पहचान बनाई, लेकिन आज वह शख्स दुनिया के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक का मास्टरमाइंड बन चुका है। हम बात कर रहे हैं मेहुल चोकसी की — वही नाम जो कभी ‘डायमंड किंग’ कहलाता था, और अब ‘भगोड़ा घोटालेबाज’ के तौर पर जाना जाता है।

पालनपुर से बेल्जियम तक का सफर

5 मई 1956 को गुजरात के पालनपुर में जन्मे मेहुल चोकसी का ताल्लुक एक पारंपरिक जैन परिवार से है। शिक्षा के शुरुआती दिन मुंबई के मोदी कॉलेज में गुजारे। वर्ष 1975 में हीरा-जवाहरात के क्षेत्र में कदम रखने वाले चोकसी ने 1985 में पिता की कंपनी ‘गीतांजलि जेम्स’ की कमान संभाली और कंपनी को एक इंटरनेशनल ब्रांड बना दिया। ‘नक्षत्र’, ‘डी डमास’, ‘गिल्ली’, ‘अस्मी’, ‘विवाह गोल्ड’ जैसे 70 से अधिक ब्रांड्स खड़े किए।

चीन, मिडिल ईस्ट, अमेरिका और दक्षिण एशिया में फैले कारोबार के साथ-साथ भारत में गीतांजलि ग्रुप के 4000 से अधिक स्टोर थे। बॉलीवुड की बड़ी हस्तियां उनके ब्रांड्स का प्रचार करती थीं। चोकसी का दबदबा इतना था कि भारत के संगठित ज्वैलरी बाजार में उनकी हिस्सेदारी 50% तक पहुंच गई थी।

लालच ने डुबो दिया साम्राज्य

कहा जाता है कि पैसा कमाने की हवस ने चोकसी को नैतिकता से भटका दिया। कारोबार को बढ़ाने के नाम पर उन्होंने हीरे की क्वालिटी से समझौता किया और फर्जीवाड़े की राह पर चल पड़े। अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने दावा किया था कि जब वे भारत से निकले, उस वक्त उनकी कुल संपत्ति करीब 20,000 करोड़ रुपये थी।

कैसे जुड़ा नाम PNB घोटाले से?

मेहुल चोकसी का भांजा नीरव मोदी पहले से ही हीरा कारोबार में सक्रिय था। दोनों ने मिलकर पंजाब नेशनल बैंक की मुंबई ब्रांच के कुछ अधिकारियों के साथ सांठगांठ की। गलत तरीके से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) और विदेशी लेटर ऑफ क्रेडिट (FLC) जारी करवाए गए।

LoU एक तरह की बैंक गारंटी होती है, जिसकी मदद से विदेशी बैंकों से शॉर्ट टर्म लोन लिया जा सकता है। इस स्कीम का फायदा उठाते हुए मामा-भांजे की जोड़ी ने बैंकों से मोटी रकम उठाई और उसे अन्य व्यापारिक गतिविधियों में इस्तेमाल किया।

14,000 करोड़ का महाघोटाला

इस घोटाले में चोकसी, नीरव मोदी और उनके सहयोगियों ने तकरीबन 14,000 करोड़ रुपये का नुकसान किया। जब घोटाले का पर्दाफाश हुआ, चोकसी जनवरी 2018 में ही भारत छोड़कर एंटीगुआ और बारबुडा भाग गया और वहां की नागरिकता हासिल कर ली। जांच में खुलासा हुआ कि बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से सालों तक यह धोखाधड़ी चलती रही।

CBI और ED ने जांच शुरू की और फरवरी 2018 में FIR दर्ज की गई। इसके बाद चोकसी, नीरव मोदी, उनके परिवार के सदस्य और बैंक अफसरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू हुई।

आखिरकार गिरफ्त में आया भगोड़ा

वर्षों तक फरारी के बाद अब खबर आई है कि मेहुल चोकसी को बेल्जियम में गिरफ्तार कर लिया गया है। गिरफ्तारी के साथ ही भारत में उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया तेज हो सकती है।

सवाल यही है…

एक सफल कारोबारी, ब्रांड बिल्डर और इंटरनेशनल हीरा व्यापारी आखिर कैसे एक फर्जीवाड़े का बादशाह बन गया? क्या भारत की बैंकिंग प्रणाली में इतने गहरे सुराख हैं कि कोई भी हजारों करोड़ का चूना लगाकर आराम से देश छोड़ सकता है?

इस घोटाले ने सिर्फ एक कारोबारी की साख को नहीं गिराया, बल्कि भारतीय बैंकिंग व्यवस्था की साख पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

https://indiafirst.news/mehul-choksi-nirav-modi-pnb-scam-14000-crore

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